शहर पर भारी भरकम कर्ज लादकर चंबल से पानी लाने की योजना के लिए भाजपा नेताओं ने कर्ज दिलाने पर ही श्रेय लेना शुरू कर दिया था। इस मामले पर पत्रिका द्वारा 14 और 15 जुलाई को प्रमुखता से खबरें प्रकाशित की गई थीं, जिसमें बताया गया था कि निगम कैसे कर्ज की पूर्ति के लिए पानी के बिल को 150 रुपए प्रतिमाह से 500 रुपए प्रतिमाह करने की योजना बना रही है। पत्रिका की खबर से जहां सत्ताधारी नेता हरकत में आए, वहीं निगम अफसरों ने भी उक्त लोन को राज्य शासन से चुकाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए। अधीक्षण यंत्री आरएलएस मौर्य ने 24 अगस्त को भोपाल में अफसरों से इसके लिए बात की।
पैसों का हिसाब
योजना- 398.45 करोड़ रुपए की है।
एनसीआर का कर्ज- 298.84 करोड़ रुपए, योजना की ७५ प्रतिशत राशि।
कुल 25 प्रतिशत राशि करीब 99.61 करोड़ रुपए राज्य शासन मुहैया कराएगा।
298.84 करोड़ रुपए निगम को करीब 7 प्रतिशत की ब्याज दर से चुकाने होंगे
निगम ने राज्य शासन को पत्र भेजकर मांग की है कि चंबल टू तिघरा वाटर लाइन योजना को मुख्यमंत्री शहर पेयजल योजना में शामिल किया जाए।
प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। इसे पास कराने नगरीय प्रशासन मंत्री माया सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया, ऊर्जा मंत्री नारायण सिंह कुशवाह के साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर प्रयास करें तो शहर को कर्ज से बचाया जा सकता है।
2050 तक शहर की पूर्ति के लिए 150 एमएलडी पानी की अतिरिक्त आवश्यकता है, इसके लिए शासन को योजना बनाकर भेजी गई है। अगर निगम को कर्ज चुकाना पड़ा तो हमें इसकी पूर्ति पानी के बिलों में वृद्धि करके करना होगी।
आरएलएस मौर्य, अधीक्षण यंत्री पीएचई नगर निगम
निगम पर पहले से ही काफी कर्ज है। ऐसे में चंबल योजना के लिए कर्ज की पूर्ति करना आसान नहीं होगा, इसके लिए निगम की सेवाओं पर टैक्स बढ़ाने पड़ेंगे। शासन से मांग की है कि योजना को मुख्यमंत्री पेयजल योजना में शामिल किया जाए।
विनोद शर्मा, आयुक्त नगर निगम