आरपीएफ का श्वान प्रिंस की आर्ट अटैक से पिछले छह महीने पहले मौत हो गई थी। इसको देखते हुए आरपीएफ ने अपनी प्रक्रिया शुरु की और दो महीने पहले आरपीएफ को सिकंदराबाद से एक पपी मिल गया है। जर्मन शेफर्ड नस्ल के श्वान के आने के बाद अब आरपीएफ प्रिंस की कमी को इससे पूरी करेंगा। दो महीने में इस पपी ने यहां का माहौल को अच्छी तरह से समझ लिया और शनिवार को नौ महीने के लिए टेकनपुर टेनिंग के लिए रवाना हो गया। आरपीएफ की टीम में पुराना एक अन्य डॉग टाइगर है। आरपीएफ की श्वान को स्वाक्ड में हर रोज रेलवे स्टेशन पर आने वाले यात्रियों के सामान के साथ शताब्दी सहित अन्य ट्रेनों के समय भी चेकिंग करना होती है। प्रिंस की मौत के बाद से ही टाइगर भी अकेला रह गया था।
पांच महीने का आया था पपी
सिकंदराबाद से आरपीएफ की टीम में शामिल होने के लिए पपी को पांच महीने का लाया गया था। इसके लिए आरपीएफ की टीम सहायक कंमाडेट के नेतृत्व में दो महीने पहले पिछले कई दिनों के लिए सिकंदराबाद गई थी। आरपीएफ के अधिकारी ग्वालियर के साथ अलीगढ़ और झांसी के लिए भी एक- एक पपी लेकर आए है। इन हर एक पपी के लिए लगभग पचास- पचास हजार रुपए मंजूर हुए है।
इनका कहना है
सात महीने के इस पपी को सिकंदराबाद से लाया गया था। तीन महीने यहां रखने के बाद शनिवार को नौ महीने की टे्रनिंग पर टेकनपुर भेजा गया है। उसके बाद यह हमारी टीम में शामिल हो जाएगा।
अवधेश गोस्वामी क्राइम निरीक्षक आरपीएफ