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मुम्बई के इस होटल में मिले थे पहली बार
पहली नजर में हो गया था प्यार सागर में एक आम नागरिक की तरह पली-बढ़ी लेखा दिव्येश्वरी (विजयाराजे सिंधिया) ने कभी सोचा भी नहीं था कि वो देश के सबसे बड़े राजघरानों में से एक सिंधिया राजघराने की महारानी बनेंगी। मगर वक्त को पता था इसलिए तो उस दिन जब लेखा दिव्येश्वरी मुंबई के ताज होटल में बैठी हुईं थी, तभी वहां सिंधिया रियासत के सबसे प्रसिद्ध महाराजा सर जीवाजी राव सिंधिया भी पहुंच गए। उनकी नजरें इस साधारण किन्तू खूबसूरत युवती पर पड़ी। जीवाजी ने जब पहली लेखा दिव्येश्वरी को देखा तो वो पहली नजर में ही उन्हें पसंद करने लगे।
मराठी बहू चाहते थे मराठा सरदार
सिंधिया परिवार और मराठा सरदार यही चाहते थे कि बहू मराठी हो, लेकिन जीवाजी के दिल में थी राजपूत लड़की लेखा दिव्येश्वरी से मुलाकात के बाद जीवाजीराव सिंधिया ने मन बना लिया था कि वो शादी करेंगे तो उन्हीं से। उन्होंने उन्हें मुंबई के समुंदर महल में बुलाया और एक महारानी को जो सम्मान मिलता है वो दिया। यहां से ये समझा जा सकता था कि आगे की कहानी क्या होने वाली है। जीवाजीराव सिंधिया ने लेखा दिव्येश्वरी के घर विवाह का प्रस्ताव जरूर भेजा था, लेकिन वो जानते थे कि ये शादी इतनी आसान नहीं है।
त्रिपुरा की राजकुमारी से सगाई टूटने के बाद सिंधिया राजपरिवार और मराठा सरदार यही चाहते थे कि जीवाजीराव किसी मराठी लड़की से शादी करें, जो राजशाही परिवार से ताल्लुक रखती हो। मगर कहानी में सबसे बड़ी मुश्किल यही थी कि लेखा दिव्येश्वरी ना तो मराठा थी और न ही किसी शाही परिवार की बेटी थी। मराठा सरदारों ने इस शादी को लेकर अपना विरोध दर्ज किया, लेकिन जीवाजी राव सिंधिया ने सभी विरोधी सुरों को दबा दिया और मराठा सरदारों के खिलाफ खड़े हो गए। अंत में सभी मराठा सरदारों को महाराजा के आगे झुकना ही पड़ा।
इस दिन हुई शादी 21 फरवरी 1941को महाराजा जीवाजीराव सिंधिया की शादी उनसे हुई। इस रॉयल वेडिंग के बाद सागर की एक आम लड़की लेखा दिव्येश्वरी देश के सबसे बड़े राजघराने की महारानी विजयाराजे सिंधिया बन गईं।