अभिनय का मतलब ही है जिंदगी को जीना
– रंगमंच में अभिनय, निर्देशन केबाद अब फिल्मों में भी अपनी कला दिखाएंगे अयाज खान
ग्वालियर. मेरे जीवन में अभिनय कला बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसा लगता है कि जैसे मैं अभिनय के लिए ही पैदा हुआ हूं। मेरे लिए अभिनय का मतलब ही जिंदगी को जीना है। जब भी अभिनय करता हूं तो ऐसा लगता है कि मेरी जिंदगी भी इसके आसपास ही है। यह कहना है रंगमंच से जुड़े युवा कलाकार अयाज खान का, पिछले कई वर्षों से रंगमंच पर उन्होंने जहां अभिनय, निर्देशन और डिजाइनर का काम किया है वहीं जल्द ही अब वे बड़े पर्दे पर भी दिखाई देने वाले हैं। खासगी बाजार निवासी अयाज बताते हैं कि 2001 में मैंने हिमाचल कल्चरल रिसर्च फार्म एंड थियेटर एकेडमी से संबद्धता प्राप्त नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली से एक्टिंग कोर्स किया। इसके बाद साहित्य कला परिषद रंग मंडल दिल्ली में काम किया। श्रीराम सेंटर रंगमंडल नई दिल्ली में काम करने के बाद नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा रंगमंडल में भी एक्ंिटग की। 2007 में ग्वालियर में परिवर्तन समूह की स्थापना की, जिसमेें कई कलाकार जुड़े हुए हैं। इसके जरिए अभी तक 40 से अधिक नाटकों का निर्देशन किया। 60 से अधिक नाटकों में प्रमुख भूमिका निभाई, इनमें से तुगलक मेरा सबसे पसंदीदा नाटक है। वर्तमान में अयाज मप्र नाट्य विद्यालय, श्रीराम सेंटर नाट्य वेद एकेडमी दिल्ली और मुंबई में बच्चों को अभिनय, वाइस स्पीच आदि के गुर सिखा रहे हैं। करीब पांच महीने पूर्व उन्होंने बच्चों के लिए बनी अटकन-चटकन फिल्म में अभिनय किया, जिसका निर्देशन स्वामी शिवहरे ने किया है। इसके साथ ही नवंबर में कुछ ओर फिल्मों के साथ वेब सीरिज से जुडऩे जा रहा हंू।
Home / Gwalior / अभिनय का मतलब ही है जिंदगी को जीना