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ग्वालियर-चंबल अंचल के 70 कॉलेजों की मान्यता निरस्त, तय मापदंडों को पूरा नहीं कर रहे थे ये नर्सिंग कॉलेज

हाईकोर्ट का आदेश: गलत तरीके से मान्यता देने वालों की कराएं जांच

ग्वालियरJun 30, 2022 / 03:52 pm

दीपेश तिवारी

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ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल अंचल में तय मापदंडों को पूरा नहीं करने वाले 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता निरस्त कर दी गई है। हाइकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने इन कॉलेजों को फर्जी तरीके से मान्यता देने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की विभागीय जांच कराने के आदेश दिए हैं।

नर्सिंग काउंसिल की ओर से तर्क दिया गया था कि पिछले और वर्तमान सत्र में 271 कॉलेजों को मान्यता दी गई है। इसके बाद कोर्ट ने 24 अगस्त 2021 को आदेश दिया था कि वास्तविक स्थिति का पता करने आयोग बनाया जाए। इस पर नर्सिंग काउंसिल ने 30 सदस्यों की कमेटी बनाई। कमेटी ने 200 कॉलेजों का निरीक्षण किया। रिपोर्ट काउंसिल ने कोर्ट को पेश की थी। इसके के आधार पर 70 कॉलेजों की मान्यता निरस्त कर दी गई। इसके अलावा काउंसिल ने भी अपनी रिपोर्ट पेश की थी।

मानव जीवन के लिए खतरा हैं इन कॉलेजों के विद्यार्थी
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में इन कॉलेजों को बंद करने की मांग करते हुए कहा कि ऐसा नहीं किया गया तो अप्रशिक्षित हेल्थ वर्कर सामने आएंगे। इससे मानव जीवन पर भी खतरा हो सकता है। याचिकाकर्ता ने मांग की है जिन कॉलेजों की मान्यता निरस्त की है उनके विद्यार्थियों की मार्कशीट भी रद्द की जाए।

अस्पताल तो दूर की बात न खुद का भवन न स्टाफ
नर्सिंग कॉलेजों के खिलाफ भिंड निवासी हरिओम ने 2021 में जनहित याचिका दायर की थी। अधिवक्ता उमेश कुमार बोहरे ने तर्क दिया कि अंचल में नर्सिंग कॉलेजों को नियम विरुद्ध मान्यता दी गई है। ये मानकों को पूरा नहीं करते। उनके पास न अस्पताल हैं, न बेड की व्यवस्था। कई कॉलेज सिर्फ कागजों पर संचालित हैं।

नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द
पूर्व में सामने आई जानकारी के अनुसार पूरे प्रदेश से करीब 200 नर्सिंग काॅलेजों की मान्यता रद्द करने की जानकारी सामने आ रही थी। जिसमें सबसे अधिक प्रभावित क्षत्र भोपाल व ग्वालियर ही बताए गए थे। दरअसल सत्र शुरू होने के एक वर्ष बाद जारी हुई (वर्ष 2021-22 के लिए) मान्यता में पूर्व से स्थापित कई कॉलेज को बंद कर दिया गया है। इससे नर्सिंग कॉलेजों में पढ़ रहे करीब एक लाख बच्चों के भविष्य पर संकट आ गया है। प्रवेशित सत्र की मान्यता निरस्त होने से कॉलेज के संचालक मुखर हो गए हैं। कागजों पर खुले अस्पतालों की पोल खुलने के बाद नर्सिंग काउंसिल ने पूरे प्रदेश में ये कार्रवाई की।

नर्सिंग कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की क्लीनिकल ट्रेनिंग के लिए अस्पताल की जरूरत होती है, लेकिन नर्सिंग कॉलेज संचालकों ने अस्पताल कागजों पर ही खोल लिए थे।

इसका मामला पहली बार तब सामने आया जब कोरोना काल में मरीजों को भर्ती करने के लिए इन अस्पतालों के पास व्यवस्था नहीं मिली। इसके बाद पूरे प्रदेश में अस्पतालों की जांच हुई, और बड़ी संख्या में अस्पतालों को बंद कर दिया गया।

अब नर्सिंग काउंसिल ने नर्सिंग कॉलेजों की भी जांच करवाई है। उसके बाद कार्रवाई का डंडा चलाया। नर्सिंग काउंसिल ने अप्रेल 22 के दूसरे सप्ताह में नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता की सूची कॉलेजों के लॉगिन पर भेजी। मान्यता निरस्त होने की जानकारी मिलने के बाद कॉलेज संचालक सकते में आ गए, क्योंकि उन्हें न सिर्फ कॉलेज बंद करना पड़ेगा, बल्कि पूर्व से प्रवेशित अलग-अलग सत्रों के विद्यार्थियों को भी समायोजित करना होगा। कॉलेजों में पूर्व से पढ़ रहे विद्यार्थियों को कहां समायोजित किया जाएगा इसके बारे में अभी तक काउंसिल ने कोई निर्णय नहीं लिया है।

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