इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के 300 से अधिक युवा और अधेड़ महाराष्ट्र के सांगली क्षेत्र में किशमिश के प्लांटों में काम करते हैं। संक्रमण बढऩे के बाद मजदूरों ने वापसी शुरू कर दी थी। फरवरी-मार्च में दो से तीन दर्जन वापस आ गए थे। मार्च के आखिर में जब ज्यादा संक्रमण बढ़ा तो अधिकांश मजदूर अपने गांवों में वापस आ गए हैं।
इस क्षेत्र के भिंड और दतिया से सटे गांवों में गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली से काम करने वाले मजदूरों की वापसी हुई है। इसके अलावा महाराष्ट्र और गुजरात के शहरों में पानी की टिक्की की रेहड़ी लगाने वाले छोटे व्यवसाई भी वापस लौटे हैं। यहां कुंभ से वापस आए लोगों की संख्या भी बताई जा रही है।
टेकनपुर के आसपास की आदिवासी बस्तियों में मजदूरों की वापसी हुई है। पिछोर, हथनौरा, गिजौर्रा सहित अन्य पंचायतों से दूसरे शहरों में ठेका पर काम करने वाले श्रमिक भी वापस लौटे हैं। यहां की आदिवासी बस्तियों में महाराष्ट्र के सांगली में काम करने वाले मजदूर भी वापस लौटे हैं।
करहिया, करियावटी, बागवई सहित अन्य गांवों में मजदूरों की वापसी हुई है। भितरवार कस्बे में बाहरी वार्डों में भी मजदूर वापस लौटे हैं। इसके अलावा भितरवार से करैरा रोड पर मौजूद बस्तियों में मजदूर वापस लौटे हैं।