मॉल के अंदर ही हो गई सुबह से शाम मैं सिंगापुरी वाइफ साक्षी और बेटियां समृद्धि व वैभवी के साथ गया। यहां हमारी फ्लाइट 12 घंटे लेट हो गई। समय का यूज करने के लिए हम मॉल पहुंचे। सोचा ये घूमकर कहीं और निकल जाएंगे। लेकिन वह मॉल ही इतना अच्छा था कि उससे निकलने की इच्छा ही नहीं हुई। सुबह से लेकर शाम तक भी हम पूरा मॉल नहीं घूम पाए। मॉल के ऊपर स्वीमिंग पूल था। नीचे इंडोर ओपन थिएटर थे, जिनमें बॉलीवुड मूवी लगी थी। सिंगापुर में खाने-पीने का समान महंगा है, लेकिन एयरपोर्ट के अंदर नॉर्मल चार्जेज थे। मॉल के अंदर का यह नजारा हमें आज भी याद है और आगे भी याद रहेगा।
संजीव सिंह चौहान फैरी ने 45 मिनट में पहुंचा दिया इंडोनेशिया मैं समर वेकेशन पर अपनी फैमिली के साथ सिंगापुर गया था। मेरे साथ वाइफ वाणी और बेटे आलोक व साईंदीप भी थे। वहीं से हम मलेशिया भी गए थे। इंडोनेशिया जाने के लिए हम फैरी (बोट) पर बैठे। उसने महज 45 मिनट में समुद्र के रास्ते हमें पहुंचा दिया। यह यात्रा हमेशा यादगार रहेगी। एक घंटे के अंदर हमने दो संस्कृतियों को देख लिया। इसके अलावा सिंगापुर एयरपोर्ट के समीप बने होटल से रात के समय सिंगापुर का व्यू देखा, जो अलौकिक था। वहां गाड़िया पैर्लर चलती हुई नजर आ रही थी। पूरा शहर रोशनी से जगमग था। होटल में इंडोर प्लांट और हर जगह ग्रीनरी जबरदस्त थी।
दीपक पमनानी बच्चों को पसंद आया इमेजिका मैं अपने हसबैंड नरेन्द्र और बेटे आदित्य व अदिति के साथ समर वेकेशन में मुंबई, शिरड़ी के साईं बाबा, लोनावला गई। हमारा टूर 7 दिन का था। हमें मुंबई में इमेजिका सबसे अलग लगा। क्योंकि यहां बच्चों और पैरेंट्स एक साथ एंजॉय कर सकते थे। वाटर पार्क में स्लाइड अच्छी थी। बड़े और छोटे सभी कर सकते थे। लुनावला में नारायणी माता के मंदिर ने हमें पॉजिटिव एनर्जी थी। यहां पहुंचते ही हम बहुत टायर्ड हो गए थे। होटल में रुकने का मन था। लेकिन यहां पहुंचते ही सारी थकान दूर हो गई।
जानवी रोहिरा फाइव डेज की एडवेंचर एक्टिविटी मैंने अपने फ्रेंड्स के साथ मसूरी-ऋषिकेशजाने का प्लान किया। ऋषिकेश में हम होटल के बजाए कैंप में रुके। यहां रुकने का कारण नेचर ब्यूटी का आनंद लेना था। इस टेंट गंगा नदी के किनारे था। कैंप तक पहुंचने के लिए हमें 3 किमी की ट्रेकिंग करनी पड़ी। पहाड़ के बीच में 3 फीट की रास्ता थी, जिस कठिन रास्ते पर हम चल रहे थे। हमारा लगेज पि_ू के पास था। रास्ते में लाइट नहीं थी, जंगली जानवरों का भी डर था। इस दूरी को तय करने में हमें सुबह से शाम हो गई। कैंप पहुंचने के बाद हमने क्लिप जंपिंग, ट्रेकिंग की। वापस लौटने के लिए हमने 16 किमी की रॉफ्टिंग की, जो खतरों से भरी थी।
अर्जुन गुप्ता टूर पर जाने से पहले ये रखें ध्यान टूरिस्ट प्लेस के बारे में पहले से जानकारी ले लें। इससे सहूलियत रहेगी। शहर का टेम्प्रेचर जरूर समझ लें, उसी के अकॉर्डिंग लगेज तैयार करें।
कम से कम लगेज लेकर जाएं, अधिक शॉपिंग न करें। डिजिटल कार्ड का अधिक यूज करें। कैश कैरी करना और संभालने में दिक्कत आती है।