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आज भी मंदिर में आसपास के हजारों लोगोंं की अटूट आस्था है। सावन के महीनेंं में बड़ी संख्या में लोग यहां पर मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं और पूर्ण होने पर भगवान को प्रसाद चढ़ाने जरूर आते हैं। यहां पर स्थापित शिवलिंग का झुकाव दक्षिण की ओर होने के कारण सामने बसे गांव का नाम टेड़ा पड़ गया। स्थानीय लोग मंदिर को टेड़ा मठी के नाम से भी जानते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि भिण्ड और दतिया जिले में वनखंडेश्वर नाम से शिवमंदिरों की संख्या 4 है। इनमें से दो मंदिर भिण्ड में हैं।
आज भी मंदिर में आसपास के हजारों लोगोंं की अटूट आस्था है। सावन के महीनेंं में बड़ी संख्या में लोग यहां पर मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं और पूर्ण होने पर भगवान को प्रसाद चढ़ाने जरूर आते हैं। यहां पर स्थापित शिवलिंग का झुकाव दक्षिण की ओर होने के कारण सामने बसे गांव का नाम टेड़ा पड़ गया। स्थानीय लोग मंदिर को टेड़ा मठी के नाम से भी जानते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि भिण्ड और दतिया जिले में वनखंडेश्वर नाम से शिवमंदिरों की संख्या 4 है। इनमें से दो मंदिर भिण्ड में हैं।
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होल्कर शासन में हुई थी आधा सैकड़ा शिवमंदिरों की स्थापना
सन् 1766 में मल्हारराव होल्कर की मृत्यु के बाद उनकी बहू अहिल्याबाई होल्कर ने आलमपुर क्षेत्र में कई शिव मंदिरों का निर्माण कराया। इनमें हरिहरेश्वर महादेव मंदिर, बालाजी शिव मंदिर, रकस शिव मंदिर,नर्वदेश्वर शिव मंदिर, राजवाड़ा शिवगिर मंदिर राजघाट आदि प्रमुख हैं। अहिल्याबाई ने राजघाट मंदिर पर 108 शिवलिंग की स्थापना कराई थी। शिवरात्रि के दिन यहां पर विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है। आज भी होल्कर कालीन विरासत आलमपुर क्षेत्र में विखरी पड़ी है।
होल्कर शासन में हुई थी आधा सैकड़ा शिवमंदिरों की स्थापना
सन् 1766 में मल्हारराव होल्कर की मृत्यु के बाद उनकी बहू अहिल्याबाई होल्कर ने आलमपुर क्षेत्र में कई शिव मंदिरों का निर्माण कराया। इनमें हरिहरेश्वर महादेव मंदिर, बालाजी शिव मंदिर, रकस शिव मंदिर,नर्वदेश्वर शिव मंदिर, राजवाड़ा शिवगिर मंदिर राजघाट आदि प्रमुख हैं। अहिल्याबाई ने राजघाट मंदिर पर 108 शिवलिंग की स्थापना कराई थी। शिवरात्रि के दिन यहां पर विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है। आज भी होल्कर कालीन विरासत आलमपुर क्षेत्र में विखरी पड़ी है।