ग्वालियर

ग्वालियर किले की  खुदाई में निकले तलघर में मिला बड़ा खजाना, देखने वालों की खुली रह गईं आखें

देश में अपनी शान के लिए मशहूर ग्वालियर किले ने फिर सभी को चौंका दिया है। दररअसल किले की तलहटी के नीचे खुदाई चल रही थी, तभी वहां खजाना निकल आया।

ग्वालियरJul 17, 2017 / 01:54 pm

shyamendra parihar

secret treasure found under fort

ग्वालियर। देश में अपनी शान के लिए मशहूर ग्वालियर किले ने फिर सभी को चौंका दिया है। दररअसल किले की तलहटी के नीचे खुदाई चल रही थी, तभी वहां खजाना निकल आया। मस्जिद बनाने के लिए खुदाई की जा रही थी, तभी वहां लोगों को कुछ बक्से सा दिखाई दिया। पहले तो लोग बक्से को खोलने से डरने लगे, लेकिन जब बक्से को खोला गया तो लोगों की आंखे खुली की खुली रह गईं। मौके से मिले दफीने से 66 चांदी के सिक्केे मिले हैं और स्थानीय लोग बता रहे हैं कि यहां और भी खजाना हो सकता है।




ग्वालियर दुर्ग की तलहटी में बसा किलागेट इलाका उस वक्त लोगों की चर्चा का विषय बन गया, जब यहां खुदाई के दौरान खजाना निकल आया। दरअसल इस इलाके में बहुत पुरानी एक मस्जिद है जिसे लोग आलमगीर मस्जिद के नाम से जानते हैं। मस्जिद ढह गई थी और जब इसका मलबा हटाया जा रहा था, तभी वहां फावड़ा जमीन पर लगने से लोगोंं को धातु की आवाज सुनाई दी। लोगों ने थोड़ा मिट्टी हटाकर देखा तो वहां एक बक्सा मिला जिसमें चांदी के सिक्के थे। ये देख लोग दंग रह गए और इसकी सूचना पुलिस को भी दे दी गई है।



विक्टोरिया काल के हैं सभी सिक्के
पुरातत्व विभाग के उपसंचालक एसआर वर्मा ने बताया कि स्थान से 66 सिक्के मिले हैं और सभी सिक्के विक्टोरिया काल के हैं। ये सिक्के 18वीं और 19वंी शताब्दी के हैं।




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ग्वालियर के किले में दफन है बेशकीमती खजाना
अंग्रेजों के शासनकाल में आज से सौ साल से भी पहले पूरे उत्तर भारत पर ग्वालियर रियासत का प्रशासन था। अंग्रेजों के संरक्षण में ग्वालियर भले ही था, लेकिन इस घराने की समृद्धि भी जगजाहिर थी। 17-18वीं शताब्दी में सिंधिया राजशाही अपने शीषज़् पर थी और ग्वालियर के किले से लगभग पूरे उत्तर भारत पर शासन कर रही थी। ग्वालियर का किला राजपरिवार के खजाने और हथियार, गोले-बारूद रखने का स्थान था। यह खज़ाना किले के नीचे गुप्त तहखानो में रखा जाता था जिसका पता सिफज़् राजदरबार के कुछ खास लोगों को था। इसी खजाने का नाम था गंगाजली। इस खजाने को रखने का मुख्य उद्देश्य युद्ध, अकाल और संकट के समय में उपयोग करने के लिए था।

खजाने के तहखानों पर होते थे कोडवर्ड
खजाने किसी एक जगह नहीं था बल्कि इसके लिए अलग अलग तहखाने बनाए गए थे। जब खजाने से तहखाना भर जाता तो उसे बंद करके एक खास कोड वर्ड से सील कर दिया जाता और नए बने तहखाने में खजाने का संग्रह किया जाता। यह खास कोड वर्ड को ‘बीजक‘ कहा जाता था, जो सिफज़् महाराजा को मालूम होता था।



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