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ग्वालियर

वीडियो कॉल से गाड़ी दिखवाओ और बनवा लो पूयीसी

शहर सहित देश में पॉल्यूशन का मुद्दा गहराया हुआ है। प्रदूषण के जो मुख्य कारक हैं उसमें एक है वाहनों से निकलना वाला धुंआ। निर्धारित मात्रा से अधिक धुंआ छोडऩे वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान हैं। लेकिन शहर में नियमों को तांक पर रखकर बिना वाहनों की जांच किए ही पीयूसी सर्टिफिकेट जारी कर दिए जाते हैं। जिसके कारण पॉल्यूशन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। पत्रिका एक्सपोज ने किए स्टिंग में इसका खुलासा हुआ। वाहनों की जांच पड़ताल के बाद ही पूयीसी सर्टिफिकेट जारी किया जाता है लेकिन जांच केन्द्र द्वारा वाहन को वीडियो कॉल के जरिए दिखाकर ही पीयूसी सर्टिफिकेट देने की बात कही गई। शहर में ४० से अधिक प्रदूषण जांच केन्द्र संचालित हो रहे हैं लेकिन इनकी खुद कोई जांच पड़ताल नहीं की जाती है। जिससे यह फायदा उठा रहे हैं।

ग्वालियरMar 06, 2019 / 08:43 pm

Vikash Tripathi

Show a car through a vedio call and get certificate

वीडियो कॉल से गाड़ी दिखवाओ और बनवा लो पूयीसी

परिवहन विभाग के सामने ही चल रहा है गौरखधंधा
निर्धारित मात्रा से अधिक धुंआ छोडऩे वाले वाहनों के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट जारूरी होता है। शहर की बात करें तो ४० से अधिक प्रदूषण जांच केन्द्र संचालित हैं। जिनमें स्थाई के साथ ही चलित केन्द्र भी संचालित हैं। इनमें से तीन केन्द्र परिवहन विभाग के सामने ही संचालित हो रहे हैं। यहां गौरखधंधा चल रहा है। वैन में संचालित पीयूसी केन्द्र द्वारा बिना वाहन की जांच के ही सर्टिफिकेट दे दिया जाता है। जिस विभाग के पास इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी है उसके सामने ही यह गौरखधंधा चल रहा है। जिससे कहीं न कहीं परिवहन विभाग की भी मिलीभगत साफ नजर आती है। बिना गाड़ी के ही लोग पीयूसी सर्टिफिकेट जारी कर देते हैं। जबकि नियम की बात करें तो बिना वाहन के पीयूसी सर्टिफिकेट जारी किया ही नहीं जा सकता है। दरअसल वाहन का ऑनलाइन सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। इसमें वाहन को स्टार्ट कर उसके साइलेंसर में पाइप डाला जाता है और उससे निकलने वाले धुंआ को जांचा जाता है। अगर निर्धारित मात्रा से अधिक धुंआ निकलता है तो उसे फेल कर दिया जाता है। लेकिन पैसों के चक्कर में प्रदूषण जांच केन्द्र द्वारा सभी गाडिय़ों को ओके रिपोर्ट दे दी जाती है।
फिटनेस में भी होती है जरूरत
परिवहन विभाग द्वारा वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट भी जरूरत होती है। इसके बिना परिवहन विभाग द्वारा फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाता है। लेकिन प्रदूषण जांच केन्द्र द्वारा चोरी छिपे इन वाहनों को भी बिना जांच पड़ताल के ही पीयूसी सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।
गाड़ी दिखा दो दे देंगे सर्टिफिकेट
रिपोर्टर: भईया पीयूसी बनवाना है।
पीयूसी संचालक: कौन सी गाड़ी है।
रिपोर्टर: कार है, कितने पैसे लगेंगे।
पीयीूसी संचालक: २०० रुपए लगेंगे, ६ महीने के लिए वैद्य रहेगा। गाड़ी कहां है।
रिपोर्टर: गाड़ी तो बाहर है।
पीयूसी संचालक: नहीं तो कैसे बनेगा।
रिपोर्टर: गाड़ी की फोटो मंगवा देता हूं।
पीयूसी संचालक: नहीं फोटो से काम नहीं चलेगा, वीडियो से गाड़ी दिखवा दो बना देंगे।
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थाने में तो नहीं है गाड़ी
रिपोर्टर: भईया पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाना है
पीयूसी संचालक: बन जाएगा, गाड़ी कहां हैं।
रिपोर्टर: गाड़ी तो बाहर है।
पीयूसी संचालक: गाड़ी के बिना कैसे बनेगा। गाड़ी तो देखना पडेगी।
रिपोर्टर: गाड़ी को फोटो मंगवा देता हूं।
पीयूसी संचालक: नहीं, ऐसे काम नहीं चलेगा। गाड़ी थाने में तो नहीं है।
रिपोर्टर: नहीं।
पीयूसी संचालक: एक काम करो वीडियो से गाड़ी दिखवा दो तो बना देंगे।
एआरटीओ रिंकू शर्मा से सीधी बात
सवाल: पीयूसी सर्टिफिकेट बिना जांच के जारी किया जा सकता है
जवाब: नहीं, वाहन के जांच के बाद ही जारी किया जाता है।
सवाल: परिवहन विभाग के सामने संचालित केन्द्र तो वीडियो कॉलिंग पर सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं
जवाब: अगर ऐसा कर रहे हैं तो गलत है। इस मामले में जांच करेंगे और गड़बड़ी मिलने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
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