अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की कोर्ट में ट्रस्ट के सचिव विजय सिंह फालके द्वारा यह दावा प्रस्तुत किया गया है। वाद में कहा गया है कि कमलाराजे ट्रस्ट चेरिटेबल ट्रस्ट है जिसका गठन ३१ दिसंबर ७१ को हुआ था और इसका कार्यालय जयविलास पैलेस परिसर में है। इस ट्रस्ट के चेयरमेन माधवी राजे सिंधिया, ट्रस्टी ज्योतरादित्य सिंधिया और प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया है। इनके अलावा मीना सिंह ब्रिगेडियन एनआर पवार व के भास्करन ट्रस्टी हैं।
जिस पर ब्रिज उस जमीन को अपने स्वामित्व की बताया वाद में कहा गया है कि वादी ट्रस्ट के स्वामित्व की जमीन जिसका की सर्वे क्रमांक १०७१, १०७२ एवं १०७३ पर प्रतिवादी सचिव राजस्व विभाग भोपाल, जिलाधीश ग्वालियर एवं तहसीलदार द्वारा अवैधानिक एवं असंवैधानिक रुप से अतिक्रमण का प्रयास किए जाने पर ट्रस्ट ने एक याचिका उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की थी। इसे न्यायालय ने ९ मार्च २००६ को निराकृत किया। उच्च न्यायालय के आदेश के पालन में तहसीलदार ने राजस्व अभिलेख में तीनों सर्वे नंबरान के साथ-साथ वादी ट्रस्ट के स्वामित्व की अन्य जमीन पर भी ट्रस्ट का नाम हटा दिया एवं राजस्व विभाग के नाम जमीन का नामांतरण कर दिया। उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गई जो ४ अप्रैल १८ को निराकृत हुई।
ट्रस्ट को बिना सूचना दिए बना ली सडक़ वाद में कहा गया कि तीनों सर्वे क्रमांक की कुल ०.४५ हैक्टेयर जमीन पर प्रतिवादीगण ने अवैध प्रकार से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेश की अवहेलना करते हुए १३५६० वर्गफुट जमीन पर अवैध कब्जा कर रोड बना ली गई है। इसकी सूचना प्रतिवादीगण ने ट्रस्ट को नहीं दी। न ही इसके लिए मुआवजे का भुगतान किया। वाद में कहा गया है कि कलेक्टर रेट के मुताबिक वादग्रस्त जमीन का मूल्य विक्रय पत्र सम्पादन के लिए ६० हजार रुपए वर्गमीटर है। चूंकि यह जमीन अवैध प्रकार से अधिग्रहित की गई है इसलिए कलेक्टर गाइड लाइन के मुताबिक सात करोड की होती है। इस प्रकार वादी ट्रस्ट सात करोड की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है।
कोटेश्वर मंदिर के सामने की सडक़ के लिए भी मांगा है मुआवजा सिंधिया परिवार के ट्रस्ट से इस दावे से पूर्व कोटेश्वर मंदिर के पास की जमीन को ट्रस्ट की बताते हुए यहां की पांच किलोमीटर सडक़ को ट्रस्ट की जमीन पर निकलना बताते हुए मुआवजे की मांग की है।