समय का तीव्र गति से परिवर्तन और अर्थव्यवस्था ने प्रत्येक समाज संस्कृति और कलाओं को प्रभावित किया है। लोक कलाकार अधिकतर गरीबी में ही रहा है। कला और कलाकार तभी जीवित रह सकते हैं, जब वे स्वयं अपनी सूझबूझ से दर्शकों को आकर्षित करें। आज मनोरंजन के साथ शिक्षा का प्रचार प्रसार लोक कलाओं का विशेष उद्देश्य होना चाहिए। इस अवसर पर कार्यक्रम का संयोजन रंगमंच संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव अजय शर्मा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. सुनील पावगी मौजूद रहे।
नाटक का मंचन आज
नाट्य मंदिर में विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर बुधवार को शाम 7 बजे में डॉ. हिमांशु द्विवेदी द्वारा निर्देशित और बोधायन द्वारा लिखित नाटक ‘भगवदअज्जूकीयम’ का मंचन होगा, जिसमें लगभग 20 कलाकार परफॉर्म करेंगे।