scriptलोक परंपराओं के बिना समाज का अस्तित्व नहीं | Society does not exist without folk traditions | Patrika News

लोक परंपराओं के बिना समाज का अस्तित्व नहीं

locationग्वालियरPublished: Mar 27, 2019 06:09:07 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

लोक परंपराओं के बिना समाज का अस्तित्व नहीं

theatre day

theatre day

विश्व रंगमंच दिवस पर रंग समारोह का आयोजन विश्व रंगमंच दिवस पर रंग समारोह का आयोजन


ग्वालियर लोकनाट्य की परंपराओं को संवर्धन एवं संरक्षण करने की अति आवश्यकता है। हमें उनके संरक्षण और संवर्धन हेतु उचित प्रयास करने होंगे। बिना लोक परंपराओं के हमारा व समाज का अस्तित्व नहीं है। आज प्रत्येक काल में रंगमंच का स्वरूप बदला है। लोक कलाएं विलुप्त होती जा रही हैं, उसके कई कारण हैं। यह बात मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित बृज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय वृंदावन के निदेशक डॉ. उमेश चन्द्र शर्मा ने कार्यशाला के दौरान कही। यह कार्यशाला राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय एवं आर्टिस्ट कंबाइंड के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही है।


समय का तीव्र गति से परिवर्तन और अर्थव्यवस्था ने प्रत्येक समाज संस्कृति और कलाओं को प्रभावित किया है। लोक कलाकार अधिकतर गरीबी में ही रहा है। कला और कलाकार तभी जीवित रह सकते हैं, जब वे स्वयं अपनी सूझबूझ से दर्शकों को आकर्षित करें। आज मनोरंजन के साथ शिक्षा का प्रचार प्रसार लोक कलाओं का विशेष उद्देश्य होना चाहिए। इस अवसर पर कार्यक्रम का संयोजन रंगमंच संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव अजय शर्मा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. सुनील पावगी मौजूद रहे।


नाटक का मंचन आज
नाट्य मंदिर में विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर बुधवार को शाम 7 बजे में डॉ. हिमांशु द्विवेदी द्वारा निर्देशित और बोधायन द्वारा लिखित नाटक ‘भगवदअज्जूकीयम’ का मंचन होगा, जिसमें लगभग 20 कलाकार परफॉर्म करेंगे।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो