तीन महीने से रखे हैं सोलर पैनल, लगाने के लिए जेयू नहीं दे पाया जगह
जीवाजी विश्वविद्यालय के सभी बड़े भवनों को प्राकृतिक ऊर्जा पर निर्भर करने के लिए मार्च में सोलर पैनल लगाने का काम शुरू होना था। जेयू ने यह पैनल लगाने के लिए भवनों की छतों पर रखवा दिए हैं। सभी जगह छतों पर सोलर पैनल का सामान लकड़ी के तख्तों में बंद है, जो बारिश में खराब हो रहा है।
तीन महीने से रखे हैं सोलर पैनल, लगाने के लिए जेयू नहीं दे पाया जगह
ग्वालियर. जीवाजी विश्वविद्यालय के सभी बड़े भवनों को प्राकृतिक ऊर्जा पर निर्भर करने के लिए मार्च में सोलर पैनल लगाने का काम शुरू होना था। पैनल लगाने वाली देश की विख्यात कंपनी अडानी ग्रुप ने बैंगलुरु से सामान भेज दिया, लेकिन जेयू ने यह पैनल लगाने के लिए अध्ययनशालाओं सहित अन्य भवनों की छतों पर रखवा दिए हैं। परीक्षा भवन हो या फिर दूसरे विभाग सभी जगह छतों पर सोलर पैनल का सामान लकड़ी के तख्तों में बंद है, जो बारिश में खराब हो रहा है।
जीवाजी विश्वविद्यालय में लगभग 800 किलोवाट के सोलर पैनल लगाने के लिए प्लान बनाया गया था। इसको अमल में लाने के लिए अक्षय ऊर्जा विभाग ने पूरी तैयारी की थी। विवि के तकनीकी विशेषज्ञों ने भी इस प्लान को बनाने में मशक्कत की थी। प्लान के अनुसार सोलर पैनल लगने के बाद विवि को हर महीने लगभग 6 लाख रुपए की बचत होने की संभावना थी। उपयोग के बाद बची हुई बिजली ग्रिड को देने का प्लान भी तैयार किया गया था। मार्च में सोलर पैनल विवि में आग गए थे, लेकिन फिलहाल यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सिर्फ जगह साफ न होने के कारण अटका हुआ है।
इस कंपनी को करना है पूरा काम
विवि द्वारा जगह उपलब्ध कराने के बाद अडानी गु्रप द्वारा प्रशासनिक भवन, परीक्षा भवन, साइंस भवन सहित अन्य इमारतों की छतों पर सोलर पैनल लगाने का काम करना है। यह कंपनी रखरखाव भी करेगी।
यह होगा जेयू को फायदा
– जेयू में लगभग 600 किलोवाट बिजली की खपत होती है।
– 800 किलोवाट का प्लांट लगने पर 200 किलोवाट अतिरिक्त बिजली पॉवर ग्रिड को देकर फायदा मिल सकता था।
– वर्तमान में बिजली खरीदने के बदले में जेयू को करीब 8 रुपए प्रति यूनिट भुगतान करने पड़ रहे हैं। अगर सोलर प्लांट का काम पूरा हो जाए तो यह आपूर्ति 1.97 रुपए प्रति यूनिट में हो सकेगी।
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