चिडिय़ाघर को शिफ्ट करने की प्रक्रिया अटकी
चिडिय़ाघर को शिफ्ट करने की प्रक्रिया एक साल से ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। यह चिडिय़ाघर के चारों ओर वायु और ध्वनि प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है।
चिडिय़ाघर को शिफ्ट करने की प्रक्रिया अटकी
ग्वालियर. नगर निगम द्वारा संचालित चिडिय़ाघर को करीब 100 साल हो गए हैं। इसके विस्तार के लिए निगम को दुगनावली में जमीन आवंटित हुई थी, लेकिन यह जमीन वन्य जीवों के सरंक्षण के लिए उपयुक्त नहीं होने से वह प्रस्ताव निरस्त हो गया। गुढ़ा-गुड़ी का नाका के पास वन्य क्षेत्र की कई हैक्टेयर भूमि के लिए नगर निगम और वन विभाग की टीम के साथ संयुक्त सर्वे चुका है, इसके बाद भी चिडिय़ाघर को शिफ्ट करने की प्रक्रिया एक साल से ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। यह चिडिय़ाघर के चारों ओर वायु और ध्वनि प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है। चिडिय़ाघर में मौजूद वन्य जीवों की संख्या में इजाफा हो रहा है, लेकिन उन्हें घूमने फिरने के लिए उतनी जगह नहीं मिल पा रही है जो जगंलों में होती है। चिडिय़ाघर में मौजूद करीब 500 से अधिक अलग-अलग प्रजातियों के वन्य जीवों के जीवन और सुरक्षा के लिए वन विभाग को जमीन आवंटित करना है। इस संबंध में गांधी प्राणी उद्यान के प्रभारी डॉ.उपेन्द्र यादव से एक्सपोज की बातचीत।
? चिडिय़ाघर के आसपास वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है, क्या इसका असर वन्य जीवोंं पर होता है?
– प्रदूषण का जो असर मानव जीवन पर पड़ता है, ठीक वही असर वन्य जीवों के जीवन पर भी पड़ता है। इसके लिए उन्हें भी शांत और स्वस्थ वातावरण की आवश्यकता होती है। इसके लिए जू को शिफ्ट करने की प्लानिंग चल रही है, जिससे उन्हें प्रदूषण रहित वातावरण मिल सके।
? चिडिय़ाघर को शिफ्ट करने के प्रयास धीमे क्यों चल रहे हैं। अभी तक ओपन जू के लिए काम क्यों नहीं हो पाया है?
-वन विभाग के साथ मिलकर हमने सर्वे पूरा कर लिया है। संभागायुक्त ने वन विभाग को जमीन आवंटित करने के लिए पत्र भेजा है। आगे की कार्रवाई वन विभाग के यहां लंबित है। जैसे ही वहां से जमीन आवंटित होने की कार्रवाई की जाएगी। वैसे ही जू को शिफ्ट करने के प्रयास शुरू हो जाएंगे।
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