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ग्वालियर

बच्चों ने मंच पर डर को हरा खुलकर जीने का दिया संदेश

आइटीएम ग्लोबल स्कूल में समर कैंप

ग्वालियरMay 20, 2023 / 11:48 pm

Mahesh Gupta

बच्चों ने मंच पर डर को हरा खुलकर जीने का दिया संदेश

बच्चों ने मंच पर डर को हरा खुलकर जीने का दिया संदेश

ग्वालियर.

आइटीएम ग्लोबल स्कूल में ‘बोयांस’ समर कैंप का समापन हुआ। इस अवसर पर महाभारत धारावाहिक में युधिष्ठिर के पात्र के नाम से पहचान बनाने वाले अभिनेता एवं लख्मी चंद स्टेट यूनिवर्सिटी रोहतक के वाइस चांसलर गजेंद्र सिंह चौहान बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। विशिष्ट अतिथि रंगकर्मी गुलशन वालिया, आइटीएम यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर डॉ. दौलत सिंह चौहान, डीन एकेडमिक अनीता मित्तल उपस्थित रहे। समर कैंप के तहत विभिन्न गतिविधियां हुईं। सबसे खास थिएटर अभिनय रहा। इसमें बच्चों के द्वारा तैयार नाटक भूत नगरी का मंचन हुआ। यह नाटक रंगकर्मी गुलशन वालिया ने 15 दिन में तैयार कराया था। इस नाटक से उन्होंने डर को हरा खुलकर जीने का संदेश दिया।
बच्चों ने दिखाया हुनर
इसके साथ ही बच्चों ने डांस, ड्रामा, वाइलन, बांसुरी, ड्रम आदि की प्रस्तुति के साथ गिटार और की-बोर्ड आदि पर अपनी उंगलियों का हुनर दिखाया।

बच्चों को देखना चाहिए रामायण और महाभारत
अभिनेता गजेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि कला की शुरुआत ऐसे ही स्कूली थिएटर प्रस्तुतियों से होती है। महाभारत सिर्फ देखने की ही नहीं है वरन हमें उससे सीखना और समझना भी चाहिए। हमें वर्तमान पीढ़ी के छोटे बड़े एवं सभी बच्चों को रामायण एवं महाभारत महाकाव्यों के संदेशों से परिचित कराना चाहिए।
बच्चों ने अभिनय का प्रदर्शन कर सभी को किया मंत्र-मुग्ध
भूत नगरी नाटक की शुरुआत एक भूत के पात्र से होती है। वह पृथ्वी पर आता है, तो देखता है कि यहां किसी के पास समय ही नहीं है, बच्चे और बड़ों में संवाद ही नहीं होता, बच्चों को परिवार के लोग डराकर रखते हैं। इस तरह का व्यवहार तो भूतों की दुनिया में भी नहीं होता है। नाटक के बीच में सिंगिंग, डांसिंग और धमाचौकड़ी का भी तडक़ा लगाते हुए बच्चों ने ओडियंश को अपने अभिनय के प्रदर्शन से बांधे रखा।
जिन कार्यो में रूचि हो उसे करें: डॉ. दौलत सिंह चौहान
कार्यक्रम में आइटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर के प्रो-चांसलर डॉ. दौलत सिंह चौहान ने पैरेंट्स को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों को हमेशा जिन कार्यो में रूचि हो उस कार्य के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। बच्चें मिट्टी के कच्चे घड़े की तरह होते हैं, हम उन्हें जैसे संस्कार देंगे वह वैसे ही संस्कारों को ग्रहण कर उसमें ढलेंगे।

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