संचिता ने बताया कि मेरे परिवार के अधिकतर सदस्य बिजनेस से जुड़े हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम ऑनर करने के बाद पापा ने मुझे भी बिजनेस खड़ा करने की अपॉच्र्युनिटी दी या फिर किसी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब लगवाने के लिए बोला। लेकिन मुझे खुद का वजूद बनाना था। इसलिए मैंने मना कर दिया। एक आम इंसान की तरह ही मैंने जॉब सर्च की। इंटरव्यूज दिए। फिर मैंने डिजिटल मार्केटिंग का काम शुरू किया। कम समय में मेरा बेस्ट वर्क देखकर अन्य कंपनी भी कॉन्टेक्ट कर रही हैं।
संचिता की मां समीक्षा गुप्ता बताती हैं कि बेटी ने कभी भी हमसे किसी चीज की मदद नहीं मांगी। यहां तक की ड्राइविंग लाइसेंस लाइन में लगकर बनवाया। कोरोना वैक्सीन लगवाने एक किमी लंबी लाइन में लगी। हर छोटे से बड़ा काम खुद ही हैंडल किए। पिता राजीव गुप्ता ने कहा कि बेटी कभी भी हमारे नाम का भी यूज नहीं करती।
संचिता फ्रेंड ऑफ ट्राइबल सोसायटी एंड एकल युवा के ग्वालियर यूथ विंग की चेयरपर्सन है। वह गांव एवं शहर के स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों को एजुकेशन, हेल्थ केयर, राइट्स के बारे में बताती हैं। वह जरूरतमंदों के लिए फंड रेज भी कर चुकी हैं।