दरअसल रोशन सिंह 16 जून 2013 को रात 9.30 बजे मजदूरी करके घर लौट रहे थे। जब रोशन गली से गुजर रहे थे, तभी बिजली को पोल में आ रहे करंट की चपेट में आ आ गए जिससे मौके पर रोशन की मौत हो गई। घटना स्थल पर जमीला, फरजिंदा ने रोशन को करंट पोल से चिपका देखा तो उन्हें अलग किया। इसकी सूचना बिजली कंपनी व ग्वालियर थाना पुलिस को दी। घटना दिनांक को बारिश भी हुई थी। मृतक की पत्नी सुखदेवी ने बिजली कंपनी से क्षतिपूर्ति की मांग की। इसके लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां दावा पेश किया। मजिस्ट्रेट ने दावा खारिज कर दिया। इस आदेश के खिलाफ अपर सत्र न्यायालय में अपील की। सुखदेवी सहित उसके चार बच्चों ने अपील की। उसकी ओर से तर्क दिया गया कि नूरगंज में बिजली की लाइनें बिछाने में बिजली कंपनी ने लापरवाही की है। बिजली का तार टूटने के बाद पोल से टच हो गया। जिससे रोशन की अकाल मृत्यु हुई। इसके लिए बिजली कंपनी के साथ-साथ कलेक्टर भी जिम्मेदार हैं। क्योंकि कलेक्टर जिले के प्रमुख होते हैं। रोशन हर महीने 10 हजार रुपए कमाता था, जिससे उसके परिवार का भरण पोषण होता था। पति की मौत के बाद उसके सामने आर्थिक संकट आ गया है। बिजली कंपनी की ओर से अपील का विरोध किया गया कि लाइनों का समय-समय पर रख रखाव किया जाता है। पोल से करंट लगने से कोई घटना घटित नहीं हुई। इस कारण अपील को खारिज किया जाए। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 6 फीसदी ब्याज के साथ 9 लाख 94 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति दिए जाने का आदेश दिया है। ब्याज 2015 से देना होगा।