14 साल बाद भी निभा रहे वादा शादी के पहले प्रॉमिस डे पर मैंने अपनी मंगेतर रूचि से यह प्रॉमिस किया था कि मैं उसे साल में कम से कम दो बार उसके फेवरेट डेस्टिनेशन पर लेकर जाऊंगा। जिसे मैं अभी तक निभा रहा हूं। क्योंकि उसे घूमने का बहुत शौक था। इसी तरह मैंने उससे वादा किया था कि मैं उसके बिना किसी फै मिली या क्लब प्रोग्राम में नहीं जाऊंगा, जिसे मैं अभी तक पूरा कर रहा हूं। इस पर मेरे दोस्त जरूर मुझसे नाराज होते हैं, क्योंकि हम अकेले कोई प्रोग्राम नहीं बना पाते।
प्रदीप अग्रवाल, बिजनेसमैन विपरीत परिस्थितियों में भी बनाई खुद की पहचान मैंने हैंडीकैप होने का दर्द सहा है। बचपन में लोगों की हंसी को अपनी ताकत बनाई और खुद से फैसला किया अपना वजूद बनाने का। जिस पर आज मैं खड़ा हूं। घर की विपरीत परिस्थतियां और खुद लाचार होने के बाद भी मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की। कड़े परिश्रम के बाद सारी जरूरतें पूरी कीं। इसके अलावा लोगों की मदद कर शहर में खुद की पहचान बनाई।
सीपीएस राजपूत, समाजसेवी