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ग्वालियर

तीस साल पहले किया था खुद से वादा

रिश्तों को और भी मजबूत बनाने का नाम है प्रॉमिस यह एक दूसरे के बीच विश्वास बढ़ाता है। भरोसे को डोर को और भी मजबूत बनाता है। अपना होने का एहसास कराता है।

ग्वालियरFeb 11, 2019 / 09:59 pm

Harish kushwah

promised

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ग्वालियर. रिश्तों को और भी मजबूत बनाने का नाम है प्रॉमिस यह एक दूसरे के बीच विश्वास बढ़ाता है। भरोसे को डोर को और भी मजबूत बनाता है। अपना होने का एहसास कराता है। एक प्रॉमिस ही है, जिसके सहारे लोग बड़े से बड़े फैसले ले लेते हैं और जीवन के हर कदम ऊचाइयां छूते हैं। प्रॉमिस हर एक इंसान करता है। कोई अपने आपसे तो कोई दूसरे से। अहम बात तब है जब उसे वह निभा पाएं। क्योंकि बहुत से लोग समय के साथ बदल जाते हैं और अपने वादे भूल जाते हैं। आज प्रॉमिस डे है। हम आपको ऐसे ही लोगों से परिचित करा रहे हैं, जिन्होंने अपने आपसे या दूसरों से जो भी वादा किया उसे तीस साल बाद भी निभा रहे हैं।
14 साल बाद भी निभा रहे वादा

शादी के पहले प्रॉमिस डे पर मैंने अपनी मंगेतर रूचि से यह प्रॉमिस किया था कि मैं उसे साल में कम से कम दो बार उसके फेवरेट डेस्टिनेशन पर लेकर जाऊंगा। जिसे मैं अभी तक निभा रहा हूं। क्योंकि उसे घूमने का बहुत शौक था। इसी तरह मैंने उससे वादा किया था कि मैं उसके बिना किसी फै मिली या क्लब प्रोग्राम में नहीं जाऊंगा, जिसे मैं अभी तक पूरा कर रहा हूं। इस पर मेरे दोस्त जरूर मुझसे नाराज होते हैं, क्योंकि हम अकेले कोई प्रोग्राम नहीं बना पाते।
प्रदीप अग्रवाल, बिजनेसमैन

विपरीत परिस्थितियों में भी बनाई खुद की पहचान

मैंने हैंडीकैप होने का दर्द सहा है। बचपन में लोगों की हंसी को अपनी ताकत बनाई और खुद से फैसला किया अपना वजूद बनाने का। जिस पर आज मैं खड़ा हूं। घर की विपरीत परिस्थतियां और खुद लाचार होने के बाद भी मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की। कड़े परिश्रम के बाद सारी जरूरतें पूरी कीं। इसके अलावा लोगों की मदद कर शहर में खुद की पहचान बनाई।
सीपीएस राजपूत, समाजसेवी

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