scriptसड़कों पर चौबीस घंटे बेलगाम दौड़ रहे तीन हजार ओवरलोड डंपर और हाइवा | Three thousand overloaded dumpers and highways running unbridled | Patrika News
ग्वालियर

सड़कों पर चौबीस घंटे बेलगाम दौड़ रहे तीन हजार ओवरलोड डंपर और हाइवा

हर दिन करीब 35 से 40 लाख रुपए की रेत और 20 से 25 लाख रुपए की गिट्टी ढोकर ले जाने वाले 3 हजार से अधिक डंपर, हाइवा, ट्रक, ट्रैक्टर-ट्रॉली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बेतहाशा…

ग्वालियरJul 24, 2022 / 06:35 pm

रिज़वान खान

tractar accident

सड़कों पर चौबीस घंटे बेलगाम दौड़ रहे तीन हजार ओवरलोड डंपर और हाइवा

ग्वालियर. हर दिन करीब 35 से 40 लाख रुपए की रेत और 20 से 25 लाख रुपए की गिट्टी ढोकर ले जाने वाले 3 हजार से अधिक डंपर, हाइवा, ट्रक, ट्रैक्टर-ट्रॉली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बेतहाशा स्पीड में दौड़ रहे हैं। बीते दिन उटीला क्षेत्र के 6 श्रद्धालुओं को हाथरस के पास डंपर ने कुचल दिया। इससे पहले उटीला क्षेत्र के ही 15 लोगों को मुरैना के दिमनी में डंपर का शिकार होना पड़ा था। रिश्तेदार के यहां फेरा करने जा रहे एक ही समाज के 21 लोगों से भरी जीप में डंपर ने जून 2018 में सामने से टक्कर मारी और 12 लोग स्पॉट पर ही खत्म हो गए थे, जबकि तीन की मृत्यु अस्पताल में हुई थी।
इसी तरह करौली से लोट रहे तीन लोगों को भी डंपर ने कुचला था। एक वर्ष पहले बिलौआ तिराहे से कुछ ही आगे बाइक सवार पति-पत्नी को डंपर की वजह से जान से हाथ धोना पड़ा। इसके कुछ समय पहले इसी जगह टेकनपुर निवासी तीन लोगों की मृत्यु हुई थी। सिमरिया टेकरी पर भी एक व्यक्ति की डंपर की टक्कर से मौत हो चुकी है। इस तरह की घटनाएं लगातार होने के बाद भी खनन माफिया के दबाव में काम कर रहे प्रशासन,पुलिस, परिवहन, वाणिज्यकर और माइङ्क्षनग विभाग ने न तो इनकी अंधाधुंध रफ्तार पर लगाम लगाई है और न ही ओवरलोड पर अंकुश लगा पाए हैं। केन्द्र और राज्य सरकार में मौजूद जिले के सांसद, विधायक भी मौत की रफ्तार पर नियंत्रण रखने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। बड़ी घटना होने के बाद आर्थिक सहायता और आश्वासन के अलावा लोगों को कुछ नहीं मिला है।

एक नजर में रफ्तार
– नदी से रेत और क्रेशर से गिट्टी भरकर ले जाने वाले चालकों को एक रॉयल्टी पर्ची पर दो से तीन चक्कर लगाने का टार्गेट दिया जाता है।
– टार्गेट के साथ ओवरलोड भरकर चलने वाला चालक हाइवे पर पहुंचते ही वाहन को 80 से 100 किमी प्रति घंटा की स्पीड में भगाता है।
– रात में सड़क पर दौड़ते वाहनों से बचना है तो सामने से आ रहे वाहन को खुद ही एक तरफ होना पड़ता है।
– अचानक सामने आने वाली गाय, भैंस, कुत्ता,नीलगाय या फिर कोई इंसान ही क्यों न हो, डंपर चालक रोकने की कोशिश करते नजर नहीं आते।

ये हैं घटनाओं के लिए सीधे जिम्मेदार

– कलेक्टर
माइङ्क्षनग विभाग सीधे कलेक्टर के अधीन आता है। कार्रवाई करने और नियंत्रण रखने के सभी अधिकार कलेक्टर के पास हैं, इन्होंने निर्देश तो बहुत से दिए हैं लेकिन जिला स्तर से ओवरलोड पर नियंत्रण के लिए जमीनी स्तर पर एक भी उल्लेखनीय प्रयास नहीं किया है।
– एसपी
सभी ओवरलोड वाहन जिले के नौ थाना क्षेत्रों से निकलते हैं। इन थानों के प्रत्येक पुलिस कर्मी और अधिकारियों को अपने क्षेत्र में हो रहे अवैध उत्खनन, परिवहन की पूरी जानकारी है, इसके बाद भी किसी भी पुलिस थाने ने अभी तक ओवरलोड पर स्थाई लगाम नहीं लगाई है। एसपी भी इस मामले में लगातार उदासीनता अपनाए हैं।
– आरटीओ
ओवरलोड चेक करने का अधिकार परिवहन अधिकारी के पास है। वाहनों की फिटनैस और अनियंत्रित गति को लेकर भी यह विभाग सीधे कार्रवाई कर सकता है।इसके बाद भी भी परिवहन विभाग के आरटीओ, एआरटीओ और आरटीआई कभी भी सड़कों पर उतरकर सख्ती से कार्रवाई करते नहीं दिखे हैं।
– वाणिज्यकर
खदान से निकलकर सड़कों के जरिए ढोये जा रहे पत्थर और रेत के कर निर्धारण को लेकर इस विभाग के अधिकारी कार्रवाई करने का अधिकार रखते हैं। लेकिन विभाग ने माइङ्क्षनग के मामले में सबसे ज्यादा उदासीनता अपनाई है। एक बार भी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की।
– माइङ्क्षनग
अवैध उत्खनन, परिवहन आदि के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार इस विभाग के अधिकारी हंैं। माइङ्क्षनग अधिकारी कभी भी सख्ती नहीं बरतते और इनके इंस्पेक्टर फील्ड में तभी जाते हैं, जब उनका कुछ फायदा हो।

Home / Gwalior / सड़कों पर चौबीस घंटे बेलगाम दौड़ रहे तीन हजार ओवरलोड डंपर और हाइवा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो