एक नजर में रफ्तार
– नदी से रेत और क्रेशर से गिट्टी भरकर ले जाने वाले चालकों को एक रॉयल्टी पर्ची पर दो से तीन चक्कर लगाने का टार्गेट दिया जाता है।
– टार्गेट के साथ ओवरलोड भरकर चलने वाला चालक हाइवे पर पहुंचते ही वाहन को 80 से 100 किमी प्रति घंटा की स्पीड में भगाता है।
– रात में सड़क पर दौड़ते वाहनों से बचना है तो सामने से आ रहे वाहन को खुद ही एक तरफ होना पड़ता है।
– अचानक सामने आने वाली गाय, भैंस, कुत्ता,नीलगाय या फिर कोई इंसान ही क्यों न हो, डंपर चालक रोकने की कोशिश करते नजर नहीं आते।
ये हैं घटनाओं के लिए सीधे जिम्मेदार – कलेक्टर
माइङ्क्षनग विभाग सीधे कलेक्टर के अधीन आता है। कार्रवाई करने और नियंत्रण रखने के सभी अधिकार कलेक्टर के पास हैं, इन्होंने निर्देश तो बहुत से दिए हैं लेकिन जिला स्तर से ओवरलोड पर नियंत्रण के लिए जमीनी स्तर पर एक भी उल्लेखनीय प्रयास नहीं किया है।
– एसपी
सभी ओवरलोड वाहन जिले के नौ थाना क्षेत्रों से निकलते हैं। इन थानों के प्रत्येक पुलिस कर्मी और अधिकारियों को अपने क्षेत्र में हो रहे अवैध उत्खनन, परिवहन की पूरी जानकारी है, इसके बाद भी किसी भी पुलिस थाने ने अभी तक ओवरलोड पर स्थाई लगाम नहीं लगाई है। एसपी भी इस मामले में लगातार उदासीनता अपनाए हैं।
– आरटीओ
ओवरलोड चेक करने का अधिकार परिवहन अधिकारी के पास है। वाहनों की फिटनैस और अनियंत्रित गति को लेकर भी यह विभाग सीधे कार्रवाई कर सकता है।इसके बाद भी भी परिवहन विभाग के आरटीओ, एआरटीओ और आरटीआई कभी भी सड़कों पर उतरकर सख्ती से कार्रवाई करते नहीं दिखे हैं।
– वाणिज्यकर
खदान से निकलकर सड़कों के जरिए ढोये जा रहे पत्थर और रेत के कर निर्धारण को लेकर इस विभाग के अधिकारी कार्रवाई करने का अधिकार रखते हैं। लेकिन विभाग ने माइङ्क्षनग के मामले में सबसे ज्यादा उदासीनता अपनाई है। एक बार भी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की।
– माइङ्क्षनग
अवैध उत्खनन, परिवहन आदि के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार इस विभाग के अधिकारी हंैं। माइङ्क्षनग अधिकारी कभी भी सख्ती नहीं बरतते और इनके इंस्पेक्टर फील्ड में तभी जाते हैं, जब उनका कुछ फायदा हो।