मंदिर के महंत पं.रामस्वरूप ने बताया कि यह मंदिर लगभग 1100 साल पुराना है तथा इसका निर्माण यहां महोबा के राजाओं पर चढ़ाई करने के लिए आए दिल्ली के सुल्तान पृथ्वीराज चौहान ने पड़ाव करने के दौरान कराया था। मंदिर के बाजू में बने एक पुराने कक्ष की जमीन से ये सिक्के निकल रहे हंैं,जो कि कुछ दिनों पहले गिर गया था। मंदिर प्रबंधन कमरे के पास नई बाउण्उीवाल का निर्माण करा रहा है जिसकी वजह से कमरे में पड़े मलबे की भी खुदाई व सफाई हो रही है।
इसी खुदाई में यहां चांदी के सिक्के निकल कर आ रहे हैं। यहां जानकारी मिलते ही अन्य राज्यों से भी लोग सिक्को की मिलने को लेकर आए थे और कई लोगों को यहां से सिक्के भी मिल चुके हैं। पुजारी ने बताया कि अभी हाल ही में 10-12 चांदी के पुराने सिक्केहैं,जो कि अंग्रेजों के शासन काल के 100 से 135 साल तक पुराने हैं। उन पर विक्टोरिया एम्प्रेस के चित्र के साथ साथ 1882, 1900 तथा 1906 अलग-अलग सन् अंकित हैं।
खोदकर निकाले गए सिक्के
ऊमरी क्षेत्र के कनावर मार्ग पर उमरेश्वर महादेव मंदिर के पास बीते करीब एक माह से निकल रहे दफीने को आसपास के लोग लगातार खोद-खोदकर ले जा रहे थे। यहां एक दर्जन से ज्यादा लोग सिक्कों खोदकर ले गए। दफीना होने की सूचना जाहिर होने के उपरांत भी प्रशासन ने इस पर रोक लगाने की कार्रवाई नहीं कर पाई है।
बताया जा रहा है कि कुछ माह पूर्व अटेर क्षेत्र के ग्राम प्रतापपुरा में भी इसी प्रकार का दफीना एक खेत से निकलना शुरू हुआ था। जहां लगातार पांच दिनों तक ग्रामीणों ने खेत खोदकर बड़ी संख्या में प्राचीन सिक्कों निकाले थे। बाद में प्रशासन ने वहां पहरा लगा दिया गया था।