विधान के शुभारंभ में सुबह आचार्य धर्मभूषण सागर एवं प्रतीक सागर संसघ के सानिध्य में भगवान आदिनाथ की पालकी एवं कलश यात्रा गाजे बाजे के साथ निकाली गई। इस शोभायात्रा में सबसे आगे युवा हाथों में जैन ध्वज लेकर एवं महिलाएं केसरिया साडिय़ों में मंगल कलश सिर पर रखकर चल रही थी। पालकी यात्रा मुख्य मार्गों से होते हुए कार्यकम स्थल विशाल धर्मशाला चंद्रनगर पहुंची। इस मौके पर 108 परिवारों ने पूजा-अर्चना करते हुए भगवान आदिनाथ के चरणों में 108 महाअघ्र्य समर्पित किए। शाम को 1008 दीपों से आरती के साथ डांडिया नृत्य किया गया।