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ग्वालियर

जीवन में किसी साधु व आर्यिका की पिच्छी लेने का प्रयास करना

– 108 मंडली भक्तामर महामंडल विधान एवं पिच्छी परिवर्तन समारोह संपन्न

ग्वालियरNov 22, 2020 / 11:51 pm

Narendra Kuiya

जीवन में किसी साधु व आर्यिका की पिच्छी लेने का प्रयास करना

जीवन में किसी साधु व आर्यिका की पिच्छी लेने का प्रयास करना

ग्वालियर/सोनागिर. जीवन में एक बार किसी साधु व आर्यिका की पुरानी पिच्छी लेने का प्रयास जरूर करना क्योंकि ये पुरानी पिच्छी ही जीवन के अंत तक नई पिच्छी बनकर हमारे हाथ में आयेगी। पुरानी पिच्छी लेने वाला श्रावक होता है तो नई पिच्छी लेने वाला आर्यिक व साधु होती है। यह विचार जैन मुनि प्रतीक सागर ने रविवार को भक्तामर महा विधान एवं पिच्छी परिवर्तन समारोह में धर्मसभा को संम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। मुनिश्री ने आगे कहा कि मेरी पिच्छी का परिवर्तन आपके जीवन के परिवर्तन का कारण बने। मुझे मेरे गुरूदेव आचार्य पुष्पदंत सागर ने मेरे हाथों में पिच्छी दी तो मेरा जीवन ही बदल गया या यूं कहंू कि जिन्होंने पिच्छी देकर मेरा जीवन अनमोल बना दिया आज ये पिच्छी ही मेरी पहचान है। ये पिच्छी ही जैन धर्म के जिन शासन की शान है। भक्तामर महापूजन में कोरोना वायरस महामारी की समाप्ति और विश्वशांति के लिए महायज्ञ किया गया।
पालकी और कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ भक्तामर विधान महोत्सव
विधान के शुभारंभ में सुबह आचार्य धर्मभूषण सागर एवं प्रतीक सागर संसघ के सानिध्य में भगवान आदिनाथ की पालकी एवं कलश यात्रा गाजे बाजे के साथ निकाली गई। इस शोभायात्रा में सबसे आगे युवा हाथों में जैन ध्वज लेकर एवं महिलाएं केसरिया साडिय़ों में मंगल कलश सिर पर रखकर चल रही थी। पालकी यात्रा मुख्य मार्गों से होते हुए कार्यकम स्थल विशाल धर्मशाला चंद्रनगर पहुंची। इस मौके पर 108 परिवारों ने पूजा-अर्चना करते हुए भगवान आदिनाथ के चरणों में 108 महाअघ्र्य समर्पित किए। शाम को 1008 दीपों से आरती के साथ डांडिया नृत्य किया गया।

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