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ग्वालियर

अमृत योजना में 50 लाख के घोटाले को दबाने की कोशिश, अपने को बचाने में जुटे निगम अफसर

घोटाला उजागर करने वाले पत्र को ही दबा दिया गया, ताकि पत्र किसी के हाथ नहीं लगे। वहीं जिस बाबू के पास यह फाइलें होती थीं, उसे भी नोडल अधिकारी के साथ ही एकाउंट में भेज दिया गया

ग्वालियरJan 07, 2019 / 07:19 pm

Rahul rai

amrit scheme

अमृत योजना में 50 लाख के घोटाले को दबाने की कोशिश, अपने को बचाने में जुटे निगम अफसर

ग्वालियर। नगर निगम में अमृत योजना के प्रोजेक्ट में ब्याज पर एडवांस देने की जगह अधूरे काम का नियम विरुद्ध भुगतान कर ठेकेदार को 50 लाख से अधिक का फायदा और नगर निगम के खजाने को नुकसान पहुंचाने के मामले में अफसरों ने अनुबंध की शर्तों की जगह इंजीनियरों की रिपोर्ट पर भुगतान करने की जिम्मेदारी से खुद को बचाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं।
अधीक्षण यंत्री ने इस मामले का खुलासा करते हुए वरिष्ठ अफसरों को तत्काल एक्शन लेने के लिए पत्र भी भेजा, लेकिन पत्र पर कोई कार्रवाई न करते हुए उल्टा घोटाला उजागर करने वाले पत्र को ही दबा दिया गया, ताकि पत्र किसी के हाथ नहीं लगे। वहीं जिस बाबू के पास यह फाइलें होती थीं, उसे भी नोडल अधिकारी के साथ ही एकाउंट में भेज दिया गया, जिससे करीब 800 करोड़ के अमृत के प्रोजक्ट की सफलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
इंजीनियरों ने भेजीं फाइलें
इस भुगतान को लेकर शासन स्तर से निर्देश मिले थे, नगर निगम के इंजीनियरों ने ही भुगतान की फाइल को स्वीकृत कर भेजा है। अगर कुछ गलत है तो यह उनकी जिम्मेदारी है। वैसे हम ठेकेदार पर पेनल्टी की राशि को काट रहे हैं, तभी उसका भुगतान किया गया है। हम इस मामले को दिखवा रहे हैं।
देवेंद्र पालिया, अपर आयुक्त वित्त नगर निगम
अफसरों ने भेजी अनुमति
भुगतान की फाइलों में भोपाल से अनुमति का पत्र साथ में लगाकर लाया जाता है, साथ ही फाइलें एेसे समय में भेजी जाती हैं, जब भुगतान को रोकना मुश्किल हो जाता है। अगर भुगतान नहीं होगा तो सभी कार्य रुक जाएंगे, इसलिए भुगतान की फाइलों को निगम के इंजीनियर लेकर आते हैं। इस मामले में अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन हुआ है तो हम इसकी जांच कर आगे की कार्रवाई करेंगे।
विभाकर शर्मा, आरएडी नगर निगम
नहीं बदल सकते शर्त
अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करने पर आर्बीटेटर या न्यायालय ही निर्णय कर सकता है। किसी भी अफसर को अनुबंध की शर्तों के विपरीत जाकर भुगतान करने या कराने का अधिकार नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो यह सीधे तौर पर गलत है।
दलवीर सिंह चौहान, एडवोकेट

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