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ग्वालियर

वाटर हार्वेस्टिंग: देर से जागते हैं निगम अधिकारी

वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर नगर निगम अधिकारी गंभीर नहीं है। यही कारण है कि समय पर इसके लिए कोई प्लान ही तैयार नहीं होता। अक्सर निगम अधिकारी देर से जागते हैं और फिर बारिश के समय वाटर हार्वेस्टिंग की याद आती है और आनन फानन में वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर दिशा निर्देश जारी किए जाते हैं। ऐसे में समय ही नहीं बचता और फिर बात आई गई हो जाती है। कुछ यही गत वर्ष भी हुआ था। वर्तमान में निगम ने अभी तक कोई भी प्लान तैयार नहीं किया है।

ग्वालियरMar 12, 2020 / 09:27 pm

Vikash Tripathi

नगर निगम द्वारा भवन निर्माण अनुज्ञा के लिए एरिया के हिसाब से वाटर हार्वेस्टिंग की फीस ली जाती है, लेकिन निगम इस फीस को लेकर ही भूल जाता है। भवन निर्माण के बाद निगम द्वारा व्यावसायिक क्षेत्रों को जो कम्प्लीशन सर्टिफिकेट जारी किया जाता है उस समय भी निगम अधिकारी यह देखने नहीं जाते कि संबंधित ने वाटर हार्वेस्टिंग करवाई या नहीं। इसके साथ ही निगम अधिकारी संबंधित भवन स्वामी के यहां न तो निरीक्षण करते हैं और न ही उसे वाटर हार्वेस्टिंग के लिए बाध्य करते हैं। यही कारण है कि निगम की कार्रवाई सिर्फ फीस के तौर पर ली जाने वाली राशि तक ही सिमट कर रह गई है।
सिर्फ निर्देश देकर भूले अधिकारी
वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर कोई भी ठोस प्लान नगर निगम के पास नहीं है। इसे लेकर अधिकारी सिर्फ निर्देश देकर भूल जाते हैं, यही कारण है कि शहर में लगभग १.८लाख आवास हैं इसमें से सिर्फ १ हजार में ही वाटर हार्वेस्टिंग है। यह हाल तब है जबकि हाई कोर्ट भी वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर आदेश दे चुका है। इसके बावजूद वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। सरकारी कार्यालय और न ही व्यावसायिक संस्थानों में वाटर हार्वेस्टिंग कराई गई।
800 नोटिस देकर भूले
गत वर्ष प्रशासन के निर्देश पर नगर निगम द्वारा सिटी सेंटर और उसके आसपास के क्षेत्र में व्यावसयिक प्रतिष्ठानों को नोटिस देकर वाटर हार्वेस्टिंग कराने के लिए कहा। ८०० से अधिक लोगों को नोटिस दिए गए और इसमें से २०० के आसपास ही लोगों ने वाटर हार्वेस्टिंग करवाई। बाकी लोगों पर कोई कार्रवाई भी नहीं की गई।
वाटर हार्वेस्टिंग के लिए जल्द ही प्लान बनाने के निर्देश निगम अधिकारियों को देंगे, जिससे कि समय पर वाटर हार्वेस्टिंग करवाई जा सके।
एमबी ओझा, प्रशासक नगर निगम

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