पर्यटक डिजिटली देख सकेंगे संग्रहालय में रखी मूर्तियां
किला स्थित एसआई संग्रहालय साइड म्यूजियम के रूप में पहचान रखता है। यहां प्रथम सदी से 17वीं सदी तक की 363 पुरावशेष का प्रदर्शन किया गया है। ये 4 गैलरी में डिस्प्ले है। ये सभी मूर्तियां खुदाई व सर्वे के दौरान प्राप्त हुई हैं, जिन्हें यहां लाकर रखा गया है। ये मूर्तियां अधिकतर अमरोल, सुहानिया, नरेश्वर, बटेश्वर आदि स्थानों से मिली हैं। म्यूजियम प्रभारी शशिकांत राठौर ने बताया अगले साल तक पर्यटक म्यूजियम के रखी मूर्तियों को डिजिटली देख सकेंगे। इसका कार्य जल्द शुरू होगा। इसके साथ ही स्मोक डिटेक्टर और सीसीटीवी अपडेट किए जाएंगे।
जल्द बनेगी मॉडर्न आर्ट गैलरी, स्कल्प्चर्स का होगा प्रदर्शन
नगर निगम संग्रहालय अपने आपमें देशभर में अनूठा है। यहां सबसे खास वन्य जीव प्राणी गैलरी और बटरफ्लाई गैलरी है, जिसमें जानवरों और पक्षियों की खाल को प्रिजर्व करके रखा गया है। जल्द ही यहां में मॉडर्न आर्ट गैलरी तैयार होगी। इसमें स्कल्प्चर्स को शामिल किया जाएगा। यह गैलरी ओपन होगी। असिस्टेंट नोडल डॉ. प्रमेश दत्त शर्मा ने बताया कि संग्रहालय में बेसकीमती चीजें हैं, जिन्हें देखने देशभर से पर्यटक आते हैं। वर्तमान में 22 गैलरी हैं। इनमें स्ट्रक्चर गैलरी, कॉइन गैलरी, नेचुरल हिस्ट्री सेक्शन, वेपन सेक्शन, न्यूजपेपर सेक्शन, भोजपत्र सेक्शन, लक्ष्मीबाई वेपंस, लीथो पेंटिंग आदि शामिल हैं। अब एक गैलरी और बढ़ेगी।
चार गैलरी में संजोई भारत रत्न अटल की यादें
पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी की यादों को संजोने के लिए स्मार्ट सिटी ने गोरखी स्कूल परिसर में अटल म्यूजियम बनाया है। यहां फोटो गैलरी, काव्य गैलरी, साइंस गैलरी, डार्क रूम गैलरी बनाई गई हैं। इनमें अटल जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है। जल्द ही इसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग कर कुछ ऐसे कंपोनेंट शामिल किए जाएंगे, जिससे पर्यटक चीजों को महसूस कर सकेंगे। इसके लिए स्मार्ट सिटी की दिल्ली की कंपनी से बात चल रही है। इसका उपयोग इसी वर्ष शुरू हो जाएगा।
डिजिटल म्यूजियम (प्लेटोरियम)
ग्वालियर संभाग व बुंदेलखंड का पहला आधुनिक तारामंडल
संग्रहालय में डिजिटल उपकरणों की सहायता से ग्वालियर की स्थापत्य कला, चित्रकला खेल व मनोरंजन सहरिया जीवनशैली, परिधान, त्योहार व जीवन यापन और संगीत आदि को डिजिटल गैलरी के माध्यम से दर्शाया गया है। इसी परिसर में तारामंडल भी बनाया गया है, जिसके माध्यम से शहरवासी आकाशगंगा की वर्चअल सैर कर रहे हैं। यहां पर्यटक सीट पर बैठकर खगोलीय घटनाक्रम को डिजिटल फॉर्म में देखते हैं। इसके मुख्य भाग के साथ कई गैलरियां भी बनाई गई हैं। ग्वालियर संभाग व बुंदेलखंड क्षेत्र में यह अपनी तरह का पहला तारामंडल है।
इंडस्ट्रियल म्यूजियम में दिखेंगी मशीनें, लाइव डेमो भी होगा
महाराज बाड़ा स्थित प्रेस बिल्डिंग में इंडस्ट्रियल म्यूजियम आकार लेगा। एक समय शहर में कई बड़ी इंडस्ट्री थीं, जो समय के साथ बंद हो गईं। इन इंडस्ट्री में यूज होने वाली मशीनों का संग्रह इंडस्ट्रियल म्यूजियम में देखने को मिलेगा। उदाहरण के रूप में छापाखाना में उपयोग होने वाली मशीनें, पॉटरीज, हाथकरघा की मशीने देख सकेंगे। इनका लाइव डेमो भी देखने को मिलेगा।
क्यूआर कोड स्कैन कर जान सकेंगे मूर्तियों का इतिहास
गूजरी महल में रखीं मूर्तियों का इतिहास पर्यटक अब क्यूआर कोड स्कैन कर जान सकेंगे। इस सुविधा की शुरुआत बुधवार को की गई। गूजरी महल में कुल 18 गैलरी है, जिनमें कुल 22 क्यूआर कोड लगाए गए हैं। क्यूआर कोर्ड स्कैन करते ही पर्यटकों को मूर्तियों का इतिहार इंग्लिश और हिंदी में नि:शुल्क पढऩे को मिलेगा। क्यूआर कोड ऑडियो गाइड की शुरुआत मप्र पर्यटन बोर्ड ने की। गूजरी महल के इंजीनियर सपन साहू ने बताया कि यह एक साल की मेहनत का परिणाम है। गूजरी महल में सेकंड बीसी से लेकर 17वीं शताब्दी तक का कलेक्शन मौजूद है।
जयविलास पैलेस अगले साल अपनी 150वीं जयंती मनाएगा। इसकी तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं। झूमर सहित कालीन की सफाई हो रही है। वर्तमान में पैलेस में 42 गैलरियां हैं। अगले साल तक यहां कुछ और गैलरी ओपन की जाएंगी। इसकी प्लानिंग चल रही है। पैलेस की डायरेक्टर गायत्री सिंह ने बताया हमारे पास मोड़ी लिपि में 3 हजार से अधिक फरमान हैं, जिनका डिस्प्ले किया जाएगा। इसके साथ ही क्रॉकरी, म्यूजिक इंस्ट्रुमेंट की भी गैलरी बनेंगी। पूरे वर्ष इवेंट होंगे।
275 साल पुराना रबाव भी मौजूद
जीवाजीगंज स्थित संगीत संग्रहालय सरोद घर में उस्ताद अमजद अली खान और उनके पिता हाफिज अली खान के वाद्य यंत्र रखे हुए हैं। सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र 275 साल पुराना रबाव है। यह 17वीं शताब्दी का है। इसे अफगानिस्तान से उस्ताद मोहम्मद हाशमी लेकर आए थे। सरोद को फ्रांसीसी भाषा में रबाव कहते हैं। रबाव के मुकाबले सरोद अधिक मेलोडियस है। रबाव के तर्वे कम होते हैं, जो कि अफगानिस्तान का राष्ट्रीय वाद्य यंत्र है।
एएसआई (ऑर्केलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया) ने अपने संग्रहालय को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर नि:शुल्क किया है। सूर्याेदय से सूर्यास्त तक पर्यटक म्यूजियम का भ्रमण कर सकेंगे।