scriptपत्रिका एक्सपोज… गरीबों का निवाला चुराने वाले तो पकड़े, तीन करोड़ का गेहूं 5 महीने बाद भी नहीं मिला | Who caught stealing the morsel of the poor, three crore wheat was not | Patrika News
ग्वालियर

पत्रिका एक्सपोज… गरीबों का निवाला चुराने वाले तो पकड़े, तीन करोड़ का गेहूं 5 महीने बाद भी नहीं मिला

लॉकडाउन के वक्त गरीब परिवार और उनके बच्चे भूखे नहीं रहें, इसलिए प्रधानमंत्री योजना के तहत सरकारी गोदामों में भरा गेहूं इन गरीब परिवारों को मुहैया…

ग्वालियरFeb 22, 2021 / 07:03 pm

रिज़वान खान

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पत्रिका एक्सपोज… गरीबों का निवाला चुराने वाले तो पकड़े, तीन करोड़ का गेहूं 5 महीने बाद भी नहीं मिला

ग्वालियर. लॉकडाउन के वक्त गरीब परिवार और उनके बच्चे भूखे नहीं रहें, इसलिए प्रधानमंत्री योजना के तहत सरकारी गोदामों में भरा गेहूं इन गरीब परिवारों को मुहैया कराया गया था। पीएम की योजना से गरीबों को तो फायदा नहीं हुआ। 3 करोड़ का गेहूं चोर हड़प गए। प्रधानमंत्री की योजना में ही चोरों ने सेंध लगा दी। चोरी सामने आई तो प्रशासन और पुलिस में हड़कंप भी मचा। आनन फानन में दो ट्रांसपोर्ट कारोबारी मामा, भांजे को पकड़ा गया, लेकिन चोरी किया गया 3 करोड़ कीमत का गेहूं कहां गया असली मुद्दा नहीं सुलझा।
गरीबों का निवाला चोरी करने के केस की इंवेस्टीगेशन कर रही झांसी रोड पुलिस 5 महीने बाद भी चुराए गए गेहूं का एक दाना बरामद नहीं कर पाई है। तफ्तीश की रफ्तार से जाहिर है कि चोरी करने वालों को पकडऩे की रस्म अदायगी के बाद मामला ठंडे बस्ते मे है, लेकिन कानून के जानकार कहते हैं कि पुलिस ने चोरी में संदेहियों को तो राउंडअप कर लिया, लेकिन चोरी सामान चोरी हुआ है उसकी बरामदगी नहीं बता पाई तो अदालत में कानूनी कार्रवाई में गेहूं चोरी में पकड़े गए संदेहियों को ही फायदा होगा। पुलिस बिना गेहूं बरामद किए चोरी कैसे साबित करेगी। शुरू में उचित मूल्य की 137 दुकानों को शक के दायरे में लिया था, लेकिन इनकी गिनती भी नाटकीय अंदाज में अब कम हो चुकी है। क्योंकि चोरी का केस दर्ज होने के बाद कई दुकान संचालकों ने सरकारी रिकॉर्ड में गेहूं अपनी दुकानों पर पहुंचने की जानकारी दर्ज कराई है। हैरानी की बात है कि लॉकडाउन के वक्त गरीबों के लिए निकाला गेहूं इन दुकानों पर महीनों बाद कैसे पहुंचा। गेहंू पहुंचने के तुरंत बाद इन दुकानदारों ने तुरंत उसकी आमद एंट्री क्यों नहीं कराई। इसका ब्यौरा भी नहीं है। इन दुकानों पर पहुंचाया गया गेहूं कहां गया लंबी जांच के बाद भी पता नहीं चला है।
बड़े ट्रक से छोटी गाडिय़ों पर सिमटी पड़ताल
गरीबों को खाना मुहैया कराने की पीएम की योजना में सेंध लगाने वालों तक पहुंचने के लिए शुरू में माना गया कि सरकारी गोदामों से निकाला गया गेहूं उसे ठिकाने तक पहुंचाने वाले ट्रांसपोर्टर की मुन्नालाल और राहुल अग्रवाल की मिलीभगत से चोरी हुआ है। क्योंकि सरकारी गेहूं इन दोनों के महाराष्ट्र और महाराष्ट्र अग्रवाल ट्रांसपोर्ट से सरकारी उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचाया गया था, लेकिन अब पांच महीने बाद पुलिस की थ्योरी में बड़े ट्रकों के साथ छोटे वाहन भी गेहं चोरी में शामिल मान रहे हैं। इंवेस्टीगेशन कर रही टीम का कहना है कि कई दुकानें तो सकरी गलियों में हैं। वहां ट्रक पहुंच ही नहीं सकते। वहां तो छोटे वाहनों से गेहूं भेजा गया है। इसलिए लौट फिर कर फिर मामला एमपी स्टेट सिविल कॉर्पोरेशन सप्लाई के पाले में पहुंच गया है।
इन सवालों में उलझी चोरी
– सरकारी गोदामों से तीन करोड़ का गेहूं सरकारी उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचाने के जिम्मेदारों की घेराबंदी नहीं
– लॉकडाउन में बांटा गया गेहूं चोरी का केस दर्ज होने के बाद दुकानों पर पहुंचना कैसे बताया गया, गोदाम से दुकान तक गेहूं को पहुंचने में महीनों का वक्त कैसे लगा
– पकड़े गए ट्रांसपोर्टर्स से गेहूं से कमजोर पूछताछ, गेहूं पहुंचाने के जरियों का खुलासा नहीं।
– जिन दुकानों पर गेहूं पहुंचाया गया उनके संचालकों से ठोस खुलासे नहीं।
– गोदाम से दुकान तक पहुंचाने के लिए जिम्मेदार सरकारी कर्मचारियों की अभी तक घेराबंदी नहीं।
जब तक गेहूं नहीं मिलता, चोरी साबित नहीं
कानून की जानकारी रखने वाले कहते हैं कि पीएम योजना का गेहूं चोरी का बवाल सामने आया तो प्रशासन और पुलिस हरकत में आए, जबकि गेहूं चोरी की शिकायतें कई महीने से सामने आ रही थीं। एफआइआर दर्ज करने से पहले पुलिस को पता था कि इसमें ट्रांसपोर्ट मुन्नालाल और राहुल की भूमिका संदिग्ध है, लेकिन दोनों को तत्काल नहीं घेरा गया। बल्कि एफआइआर दर्ज होने की जानकारी दोनों तक जरूर पहुंच गई तो संदेही अंडरग्राउंड हो गए। कई दिन बाद सामने आए तो पुलिस के सामने मुंह नहीं खोला। अब सवाल उठता है कि चोर के संदेही पकड़े गए तो चुराया गेहंू कहां है। उसने किसने और कैसे खुर्द बुर्द किया वह कौन है। न तो तीन करोड़ के गेहूं का पता है न उसे खुर्द बुर्द करने वालों की जानकारी है। फिर पुलिस गेहूं चोरी का खुलासा कैसे करेगी। कोर्ट में तो चोर के साथ चुराया गया गेहूं भी बरामद होना बताना पड़ेगा। वरना पुलिस की कहानी पर सवाल उठेगा।

गिरोह का दूसरा पार्ट सामने आने पर जब्त होगा गेहूं
चोरी गेहूं बरामद नहीं किया जा सका है। इस तरह की वारदातों में बरामदगी मुश्किल से होती है। यह पता चला है कि तमाम सरकारी दुकानें सकरी गलियों में है, वहां ट्रक नहीं घुस सकते। वहां छोटे वाहनों से गेहूं पहुंचाया गया है। इस थ्योरी पर इंवेस्टीगेशन चल रही है। चोरी में शामिल गिरोह का दूसरा पार्ट सामने आने पर ही चोरी का गेहूं बरामद होगा।
पंकज त्यागी टीआइ झांसी रोड

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