नहीं मन सका सामूहिक उत्सव
नगर निगम की ओर से जल विहार में सन् 2000 से नव संवत्सर समारोह होता आया है। इस अवसर पर पूरा शहर जलविहार में इक_ा होता था और सूर्य की पहली किरण को अघ्र्य देते थे। इस दौरान पारम्परिक वाद्यवृंद की प्रस्तुति के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे, जिसमें शहर की प्रतिभाओं को मंच मिलता था। पूरा जलविहार रंग-बिरंगी रोशनी से सजा होता था, लेकिन इस बार करोना वायरस के कारण कार्यक्रम नहीं हो सका। फिरभी शहर से सामूहिक न सही, लेकिन अकेले-अकेले अपने घर की छतों से सूर्य को नमन किया।
नए साल के स्वागत में मंगल गीतों की आवाज सुबह 6 बजे से ही आने लगी थी। शंख और तुरही की आवाज से आसमां गुंजायमान था। सूर्य को अघ्र्य देने साथ ही गुड़ी की पूजा की वहीं बच्चों ने नृत्य किया। देशवासियों की सुरक्षा की मंगलकामना हर उम्र के लोगों ने की। एक-एक मीटर की दूरी पर खड़े होकर परिवार के सदस्यों ने नए साल का स्वागत किया।
घरों पर जले खुशी वापस आने के दीप,
बारादरी मीरा नगर में रहने वाली नीलम गुप्ता ने सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही दुर्गा सप्तमी का पाठ किया। साथ ही जगत के कल्याण के लिए हवन किया। इस उत्सव में उनकी सहेली शिवानी, प्रेमा भी उपस्थित रहीं। नीलम ने बताया कि नव संवत्सर पर हम चौराहों पर खुशियों के दीप जलाते थे, लेकिन इस बार घर पर दोबारा खुशी वापस आने के लिए दीप जलाएंगे। अनीता करकरे ने अपने घर पर गुड़ी की पूजा की और खुशहाली की मंगल कामना की। अशोक आनंद ने अपने परिवार के साथ सूर्य को अघ्र्य दिया और देश की खुशहाली की कामना की। संध्या राम मोहन त्रिपाठी ने अपने घरों पर दीप जलाए।