शताब्दीपुरम क्षेत्र में जर्जर सडक़ की समस्या के कारण स्थानीय लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था, जिसको लेकर दो साल पहले सडक़ निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई और तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक द्वारा सडक़ का भूमिपूजन करा दिया गया। इसके निर्माण के लिए पीडब्ल्यूडी द्वारा ठेका दिया गया, लेकिन संबंधित ठेकेदार द्वारा सडक़ के निर्माण में कोई रुचि नहीं दिखाई गई। इससे काम अटका रहा और स्थानीय लोगों को क्षतिग्रस्त सडक़ के कारण परेशान होना पड़ रहा था। इस संबंध में स्थानीय लोगों द्वारा कई बार विभाग के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की गई, तब जाकर स्थानीय लोगों की मांग पर विभाग की ओर से विगत माह बारिश के दिनों में सडक़ का निर्माण कार्य शुरू कराया गया, लेकिन उसमें भी गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। घटिया सामग्री का उपयोग किए जाने के कारण सडक़ बनने के साथ ही उखडऩा शुरू हो गई है। बारिश के दिनों में क्षतिग्रस्त सडक़ के कारण परेशानी और भी बढ़ जाती है। क्योंकि सडक़ पर हर समय ही लोगों का आवागमन बना रहता है, सडक़ से गुजरते समय वाहन कभी भी पलट जाते हैं, जिससे लोगों को हादसे का डर बना रहता है। सडक़ का निर्माण कराने वाली एजेंसी के वाहन जब भी मटेरियल डालने के लिए आते हैं तो वह सडक़ धंसकने से पलट रहे हैं, इसके बावजूद न तो ठेकेदार द्वारा सडक़ निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान रखा जा रहा है, न ही विभाग की ओर से सडक़ निर्माण की जांच कराई जा रही है। इससे सडक़ बनने का कोई मतलब नहीं निकल रहा है। बारिश होने पर यहां के हालात और बिगड़ जाएंगे। अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा क्षेत्रीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है।