आपको बता दें कि प्रदेश के युवा अब नशे की लत से जूझ रहे हैं। लिहाज़ा नशे के जंजाल में जकड़े प्रदेश के युवाओं का रुख आपराधिक गतिविधियों में लगातार लिप्त होता जा रहा है।
राजस्थान की शिक्षा नगरी कोटा के बाद सबसे ज्यादा नशेड़ी राजधानी जयपुर में है। जयपुर जिला मुख्यालय से लेकर हर कस्बे और गांवों तक पसरे नशे के कारोबार को गुलाबी नगरी से ऑपरेट किया जा रहा है।
जयपुर से प्रदेश के हर कोने में नशे के कारोबार के एजेंट फैले हुए हैं और युवाओं को इस दलदल में धकेल रहे हैं। नशीली दवाइयों का नशे के रूप में इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है।
मेडिकल स्टोर नशीली दवाइयां बेखौफ बेच रहे हैं। ये सब जानते हुए भी ड्रग विभाग इस दिशा में ज़रा भी गंभीरता नहीं दिखा रहा है। विभाग के इसी ढुल-मुल कार्यशैली के चलते दवाई विक्रेता प्रतिबंधित दवाओं यानी ड्रग्स का बेधड़क अंदाज़ से बिक्री कर रहे हैं। खांसी की दवाई के रूप में प्रयोग होने वाली दवाइयां नशे के लिए प्रयोग की जा रही है। नशे के दलदल में फंसने वाले युवा फैंसीड्रिल, कोरैक्स आदि कफ सिरप का सेवन कर अपने नशे की तलब पूरी कर रहे हैं। नशे की ये तस्करी केवल कोटा और जयपुर तक ही सीमित नही है। कई बार पुलिस की ओर से पकड़े गए तस्करों से हुए खुलासे के बाद पुलिस को नशे के तस्करी लाइन क्रेक करने का रास्ता मिल गया है। नशे के एजेंट राजधानी जयपुर में फार्मेसी की दुकानों की आड़ में दवाओं का जखीरा सप्लाई कर रहे हैं।