किसान नेता ओम जांगू ने कहा कि भाखड़ा क्षेत्र में गेहूं व सरसों की फसल सबसे ज्यादा होती है। गेहूं ऐसी फसल है जिसको तीस मार्च तक पानी चाहिए। लेकिन सिंचाई विभाग ने यह फैसला कर रखा है कि किसान की मेहनत पर पानी फेरना है। उन्होंने कहा कि देश का तंत्र कुछ इस तरह से बन चुका है कि हो-हल्ला करने के बिना आपकी बात नहीं सुनी जाती। किसान भी हर साल आंदोलन कर पानी लेने को मजबूर हैं। सरकार जान-बूझकर किसानों को परेशान कर रही है। उनकी मांग 31 मार्च तक दो-दो बारी पानी देने की है ताकि गेहूं की फसल का पकाव हो सके। इस मौके पर माकपा नेता रघुवीर वर्मा, संदीप कंग, महेन्द्र प्रताप सिंह ढिल्लो, राजेन्द्र पाल सिंह निक्का, बलविंद्र सिंह बराड़, महंगा सिंह, संदीप कंग,सरपंच रमनदीप कौर, मनदीप मान, सुभाष गोदारा, पालाराम, रोसपाल सिंह, कुलदीप मान उश्नाक खान सहित हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिले के किसान मौजूद थे।
जंक्शन में जल संसाधन विभाग कार्यालय में पूरे दिन चले आंदोलन के बाद देर शाम को जयपुर से मौखिक संदेशा आया। इसमें भाखड़ा नहर में 30 मार्च तक पानी बढ़ाने की का जिक्र था। इसके कुछ देर बाद नहर में पानी की मात्रा बढऩी भी शुरू हो गई। जानकारी के अनुसार 12 मार्च को भाखड़ा नहर में 650 क्यूसेक पानी चल रहा था। जबकि 13 मार्च रात करीब आठ बजे भाखड़ा नहर में पानी की मात्रा बढ़ाकर 850 क्यूसेक कर दिया गया। इस तरह नहर में पानी की मात्रा बढऩे से किसान खुश नजर आए। किसान नेता ओम जांगू ने बताया कि आंदोलन के कारण सरकार पर दबाव बना है। नहर में पानी बढऩे का क्रम शुरू हो गया है। यदि निर्धारित मात्रा में पानी चलता रहा तो ठीक है, नहीं तो किसान फिर से आंदोलन करेंगे। किसान नेता रेशम सिंह मानुका ने बताया कि नहर में 80 प्रतिशत तक पानी चलने से काफी फसलें बच जाएगी। किसानों के संघर्ष के बाद सरकार ने मांगों पर सहमति दी है। आगे भी किसान हित में हमारा संगठन सदैव अग्रणी रहेगा। वहीं जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता अमरजीत सिंह मेहरड़ा ने बताया कि किसान आंदोलन तथा किसानों की मांग को लेकर जयपुर में उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है। इसमें अभी सकारात्मक संदेश मिला है। नहर में पहले की तुलना में पानी बढऩा भी शुरू हो गया है।