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हनुमानगढ़

नेता हो या पुजारी, शौक और खौफ सब पर भारी

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हनुमानगढ़Jan 21, 2019 / 12:28 pm

adrish khan

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नेता हो या पुजारी, शौक और खौफ सब पर भारी

नेता हो या पुजारी, शौक और खौफ सब पर भारी
– जिले में महंत, नेता, अफसर, चिकित्सक आदि के पास हथियार लाइसेंस
– खतरा बता लिया लाइसेंस
हनुमानगढ़. जिले में नेता हो या पुजारी। शौक और खौफ सब पर भारी है। क्योंकि पुलिस भले ही कानून व्यवस्था के हिसाब से ‘बिलकुल शांति है’ का जुमला दोहराती रहे। लेकिन जिले में इन सबको हिफाजत के लिए हथियार की सख्त जरूरत है। इसीलिए उन्होंने हथियार लाइसेंस हासिल कर रखा है। जिले में प्रशासन की ओर से जो हथियार लाइसेंस जारी किए गए हैं, उनमें से अधिकांश हथियार की जरूरत का एक जैसा ही कारण बताते हैं, सुरक्षा और आत्मरक्षा के लिए। दिलचस्प यह है कि आध्यात्मिक गुरु, मरीजों के भगवान कहलाने वाले डॉक्टर या फिर नेताजी, सबका पब्लिक से मिलना-मिलाना लगा ही रहता है। ऐसे में हथियार उनके लिए कितना कारगर होगा, यह समझ से परे है।
सवाल यह है कि क्या उनको आवाम, भक्त व मरीजों से जान का खतरा है। जानकारों के मुताबिक जिले तथा प्रदेश की कानून व्यवस्था अन्य प्रदेशों से अच्छी है। ऐसे में हथियार सुरक्षा कारणों से कम और ‘स्टेट्स सिंबल’ के तौर पर अधिक रखा जाने लगा है। शादी-ब्याह में तो हथियारों का प्रदर्शन अक्सर देखने में आता है। लोगबाग इस तरह के समारोह में अपनी शान बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने के लिए ही आमतौर पर हथियार लाइसेंस के जुगाड़ में लगे रहते हैं।
हथियारधारी महंत
जानकारी के अनुसार जिले में जो हथियार लाइसेंस जारी किए हुए हैं, उनमें से कई नाम बड़े खास हैं। जैसे गांव इंद्रगढ़ के महंत सुखपाल देह। उनके पास रिवॉल्वर है। यह उसे अपने गुरु ब्रह्म देव से मिला है। इसी तरह गोरक्षटीला, गोगामेड़ी के महंत रूपनाथ के पास भी 12 बोर गन का लाइसेंस है। उनको यह हथियार गुरु ध्याननाथ से मिला। मृतक श्रेणी में महंत रूपनाथ को उक्त हथियार का लाइसेंस जारी कर दिया गया।
जन प्रतिनिधियों पर नजर
जिले के जन प्रतिनिधियों में भी हथियारों को लेकर खास रूचि है। संगरिया के पूर्व विधायक कृष्ण कड़वा व भादरा के पूर्व विधायक संजीव बेनीवाल के पास लाइसेंसी हथियार है। हनुमानगढ़ विधायक चौधरी विनोद कुमार के नाम भी हथियार लाइसेंस है। हनुमानगढ़ के प्रधान के नाम भी हथियार लाइसेंस है। जिले के कई पूर्व विधायकों तथा अन्य जन प्रतिनिधियों के नाम लाइसेंस है। पूर्व केबिनेट मंत्री डॉ. रामप्रताप के नाम लाइसेंसी हथियार नहीं है। उनके पुत्रों के नाम पर जरूर हथियार लाइसेंस है।
डॉक्टर-अफसर भी
चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण कुमार के पास लाइसेंसशुदा 32 बोर रिवॉल्वर है। यह लाइसेंस उनको वृद्ध उत्तराधिकार श्रेणी में जारी किया गया। इसी तरह पूर्व जिला आयोजना अधिकारी सहित कई पदों पर रह चुके ओमप्रकाश मांझु के पास 577 बोर राइफल का लाइसेंस है। यह लाइसेंस उनको वृद्ध श्रेणी में जारी किया गया। इसके अलावा भी पुलिस व प्रशासन के अब सेवानिवृत्त हो चुके कई अफसरों के पास हथियार लाइसेंस है।
अब नियम ज्यादा कड़े
नए मापदंडों के अनुसार हथियार लाइसेंस संबंधी जो नए मापदंड हैं, उसके हिसाब से विधायक, सांसद आदि जन प्रतिनिधियों को हथियार की जरूरत बताने सरीखे कुछ नियमों में शिथिलता दी जा सकती है। जबकि अन्य सब के लिए नियम-कायदे पहले की अपेक्षा बहुत कड़े कर दिए गए हैं। जिले में कई मृतक तथा वृद्ध श्रेणी के लाइसेंस आवेदन लंबित हैं।
फैक्ट फाइल
जिले में लाइसेंस हथियार – 5525
नए नियमों के चलते निरस्त आवेदन – 1080

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