समझाइश से निपटे विवाद, फिर बसे घर, अदालतों से कम हुआ कार्यभार
हनुमानगढ़. जिले भर में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इनमें सैकड़ों प्रकरणों का निपटारा किया गया। समझाइश से लोगों ने राजी होकर विवाद सुलझाए, वहीं पारिवारिक प्रकरणों का भी निस्तारण किया गया। सुलह के बाद जिला मुख्यालय पर ही आधा दर्जन से अधिक दंपती साथ रहने को राजी हो गए।
समझाइश से निपटे विवाद, फिर बसे घर, अदालतों से कम हुआ कार्यभार
समझाइश से निपटे विवाद, फिर बसे घर, अदालतों से कम हुआ कार्यभार
– सुलह से सबकी जीत, किसी की नहीं हार
– राजस्व मामले भी राष्ट्रीय लोक अदालत में पहली दफा किए गए शामिल
– जिले भर में लोक अदालतों का आयोजन
हनुमानगढ़. जिले भर में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इनमें सैकड़ों प्रकरणों का निपटारा किया गया। समझाइश से लोगों ने राजी होकर विवाद सुलझाए, वहीं पारिवारिक प्रकरणों का भी निस्तारण किया गया। सुलह के बाद जिला मुख्यालय पर ही आधा दर्जन से अधिक दंपती साथ रहने को राजी हो गए। उनको लोक अदालत से मालाएं पहना कर विदा किया गया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से प्राधिकरण अध्यक्ष एवं जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजीव मागो के निर्देशन में न्यायालय परिसर स्थित एडीआर भवन में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन हुआ। इसमें वैवाहिक, पारिवारिक विवाद, मोटर वाहन दुर्घटना क्लेम, सभी दीवानी मामले, श्रम एवं औद्योगिक विवाद, पेंशन मामले, वसूली, सभी राजीनामा योग्य मामलों का राजीनामे से निस्तारण किया गया। प्रकरण में समझाइश से राजीनामा होने पर लोग खुशी-खुशी घर लौटे। पहली बार राजस्व मामले भी राष्ट्रीय लोक अदालत में शामिल हुए। लोक अदालत में सैकड़ों मामलों का राजीनामा के जरिए निस्तारण हुआ। लोक अदालत में विभिन्न प्रकरणों में लाखों रुपए का अवार्ड भी पारित किया गया। खामोश बनाम रामनिवास में 30 लाख, कर्मजीत बनाम सतनाम में साढ़े दस लाख व भागी देवी बनाम श्योपत में पांच लाख नब्बे हजार का अवार्ड पारित किया गया। पैनल अधिवक्ता नितिन छाबड़ा ने बताया कि यह तीनों प्रकरण आईसीआईसीआई लोम्बार्ड से संबंधित थे।
45 हजार प्रकरण लम्बित
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव एवं अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीक्ष संदीप कौर ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायिक प्रकरणों के अलावा राजस्व मामले और उपभोक्ता न्यायालय के मामलों को भी रखा गया है। न्यायिक अदालत में करीब 45 हजार प्रकरण लंबित हैं। न्यायिक अदालतों में लंबित मामलों में से 13.4 प्रतिशत मतलब करीब छह हजार मुकदमों को शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत में रेफर किया गया। सचिव संदीप कौर ने कहा कि लोक अदालत में राजीनामा करने से पक्षकारों का समय व धन दोनों की बचत होती है। दोनों पक्षों की जीत होती है, किसी भी पक्ष की हार नहीं होती है।
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