कृषि अधिकारियों के अनुसार इस वर्ष नरमा फसल की चुगाई देरी से होने के कारण गेहूं एवं जौ फसल की बिजाई में भी देरी हुई है। फलस्वरूप अच्छा उत्पादन लेने के लिए इन फसलों का विशेष प्रबंध करना आवश्यक है। गेहूं फसल में पीलापन की मुख्य समस्या रहती है। इसके मुख्य कारण नाइट्रोजन की कमी, सूक्ष्म पोषक तत्व खासतौर पर जिंक की कमी, नेमेटोड की समस्या इत्यादि रहती है। जिले में काफी स्थानों पर गेहूं फसल में बाली निकलते समय मैंगनीज की कमी के लक्षण भी बहुतायत में देखने को मिलते हैं। उपयुक्त समस्याओं को उनके लक्षणों के आधार पर कृषि विभाग के फील्ड स्टाफ से संपर्क कर विभागीय सिफारिश अनुसार समय पर उचित प्रबंधन आवश्यक रूप से करना चाहिए। खड़ी फसलों में डीएपी उर्वरक का उपयोग लाभकारी नहीं है अत: डीएपी उर्वरक के स्थान पर सूक्ष्म पोषक तत्वों एवं नैनो डीएपी का छिडक़ाव फसल उत्पादन बढ़ाने में अत्यंत कारगर होने के साथ-साथ सस्ता भी रहता है।
पांच-छह दिसम्बर से हरिके हैड से राजस्थान के शेयर में कमी का क्रम शुरू हो गया था। अब राजस्थान के अफसर जगे ैहैं तो शेयर में सुधार नजर आने लगा है। वर्तमान में हरिके हैड से राजस्थान का कुल शेयर 12000 क्यूसेक पानी निर्धारित है। अब लगातार दबाव बनाने पर हरिके हैड से शेयर के अनुसार पानी प्रवाहित किया गया है। इसका असर नजर आने लगा है। इंदिरागांधी नहर से राजस्थान के करीब बारह जिलों को जलापूर्ति होती है। इसमें हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर सहित अन्य जिले शामिल हैं। करीब दो करोड़ से अधिक आबादी को इस नहर से जलापूर्ति होती है।
………………………………….