फर्जी आदेश की कॉपी वायरल कर उछाला कीचड़, सियासत में सायबर क्राइम की दस्तक
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फर्जी आदेश की कॉपी वायरल कर उछाला कीचड़, सियासत में सायबर क्राइम की दस्तक
फर्जी आदेश की कॉपी वायरल कर उछाला कीचड़, सियासत में सायबर क्राइम की दस्तक
– सोशल मीडिया पर जारी फर्जी लेटर में पीसीसी सदस्य को बताया एसीबी हनुमानगढ़ के हाथों टे्रप
– एसीबी के रिकॉर्ड के अनुसार नहीं हुई कोई कार्यवाही
– कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एसपी को ज्ञापन देकर जांच व कार्रवाई की मांग
हनुमानगढ़. जिले की सियासत में सायबर क्राइम ने दस्तक दे दी है। सोशल मीडिया के माध्यम से ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग का फर्जी लेटर जारी कर माहौल बिगाडऩे का मामला गुरुवार को सामने आया। पूर्व उप जिला प्रमुख तथा संगरिया विधानसभा से कांग्रेस की टिकट पर दावेदारी जता रही पीसीसी सदस्य शबनम गोदारा को लेकर फर्जी मोहर लगाकर पत्र वायरल किया गया है। इसमें एसीबी की जांच, भ्रष्टाचार आदि कारण बताकर उनको सरपंच पद से निलम्बित करना दर्शाया गया है। इसको लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रोष जताया है। पुलिस से शीघ्र कार्यवाही की मांग की गई है। मजे की बात यह है कि फर्जी पत्र जारी करने वाले फर्जीवाड़े में चूक गए। गोदारा को वर्ष 1998 में सरपंच बताते हुए निलम्बित करना बताया गया है। जबकि वह सरपंच पद पर ही फरवरी 2000 में निर्वाचित हुई थी।
सोशल मीडिया पर फर्जी पत्र जारी होने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसे वायरल करने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इसको लेकर संगरिया ब्लॉक कांग्रेस कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधि मंडल गुरुवार को जिला पुलिस अधीक्षक अनिल कयाल से मिला। प्रतिनिधि मंडल में शामिल संगरिया नगर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष राजेश डोडा व ब्लॉक कांग्रेस के संगठन महामंत्री रविंद्र भोबिया ने कहा कि कुछ लोग राजनीतिक रंजिश के कारण शबनम गोदारा की छवि खराब करना चाहते हैं। गोदारा 2013 में संगरिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुकी है। इससे पहले वे 2010 में उप जिला प्रमुख चुनी गई। उनको विभिन्न सामाजिक कार्यों के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ तक से पुरस्कृत किया जा चुका है। उनका कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। इस तरह के पत्र जारी कर प्रतिष्ठा पर कीचड़ उछालने का प्रयास किया गया है। ऐसा करने वाले समाजकंटकों के खिलाफ सरकारी कार्यालयों के मोहर व फर्जी हस्ताक्षर करने, सोशल मीडिया पर गतिरोध व तनाव पैदा करने आदि धाराओं में मामला दर्ज किया जाए। मामले की गंभीरता से जांच कर कड़ी कार्रवाई हो। प्रतिनिधि मंडल में विधि सलाहकार एडवोकेट गुरविंदरसिंह राजपाल, डीसीसी महासचिव ओमप्रकाश छाबड़ा, हंसराज वर्मा, सूरजभान भोबिया, पूर्व सरपंच महेंद्र भाकर, गुरसाहब दंदीवाल, गौतम गोदारा, रविंद्र गोदारा, राहुल गर्ग, जेपी भादू, सुनील गोदारा, विजय मंडल हरिभगत जांदू, देवेंद्रसिंह सिसोदिया, रवि शर्मा, महेश गौड़, सुरेंद्रमोहन गोदारा, रविंद्र मील, प्रवक्ता सुनील बुडानिया आदि शामिल थे।
सरकारी मोहर का दुरुपयोग
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि सोशल मीडिया में जारी फर्जी पत्र में न केवल शबनम गोदारा की छवि खराब करने का प्रयास किया गया बल्कि इसमें सरकारी मोहर का भी दुरुपयोग हुआ है। पत्र पर सीईओ जिला परिषद की मोहर तथा फर्जी हस्ताक्षर हैं। यह पत्र किसी कम्प्यूटर में टाइप किया हुआ नहीं है बल्कि टाइपिंग मशीन पर टाइप किया हुआ है ताकि 1998 का लगे। मगर फर्जीवाड़ा करने वाले तथ्यों में मार खा गए।
13 जनवरी 1998 का पत्र
फर्जी पत्र में 14 मार्च 1998 को शबनम गोदारा को सरपंच पद से निलंबित बताया गया है। इसमें एसीबी हनुमानगढ़ को शिकायत की तिथि 13 जनवरी 1998 दर्शाते हुए रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार करने तथा जेल भिजवाने की बातें लिखी गई हैं। जबकि गोदारा वर्ष 2000 में सरपंच निर्वाचित हुई थी। उनका कार्यकाल 2005 तक रहा। एसीबी हनुमानगढ़ के रिकॉर्ड के अनुसार भी उक्त तिथि को टे्र्रप की कार्रवाई नहीं हुई।
जांच का आदेश
सोशल मीडिया पर जारी पत्र को लेकर संगरिया क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ता मिले थे। थाना प्रभारी को मामले की त्वरित जांच का आदेश दिया है। – अनिल कयाल, एसपी, हनुमानगढ़।
कड़ी कार्यवाही की मांग
ओछी राजनीतिक मंशा वाले लोगों का यह कुकृत्य है। पुलिस से फर्जी पत्र वायरल करने वालों पर शीघ्र व कड़ी कार्यवाही की मांग की है। राजनीति का यह गिरता स्तर चिंताजनक है। एसीबी में कभी कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है। सरपंच के रूप में भी कार्यकाल पूरा किया। – शबनम गोदारा, पीसीसी सदस्य।
नहीं कोई मामला
एसीबी चौकी हनुमानगढ़ में 13 जनवरी 1998 को शबनम गोदारा के खिलाफ किसी तरह का कोई मामला दर्ज नहीं किया। और ना ही हनुमानगढ़ चौकी ने ट्रेप की कोई कार्यवाही की। – गणेशनाथ सिद्ध, एएसपी, एसीबी हनुमानगढ़।
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