यूटिलिटी चार्ज को लेकर रेलवे व सार्वजनिक निर्माण विभाग में लेनदेन नहीं होने के कारण कार्य ठप रहा। गांधीनगर अंडरपास को लेकर रेलवे ने पीडब्ल्यूडी से 72 लाख की मांग की थी। लेकिन सार्र्वजनिक निर्माण विभाग की माली हालत कमजोर होने के कारण भुगतान करने में देरी होने से गांधीनगर का अंडरपास का काम अटका रहा। हालांकि निर्माण एजेंसी की ओर से बॉक्स का निर्माण काफी समय पहले ही कर लिया गया था। उल्लेखनीय है कि रेलवे ने जनवरी 2019 में 72 लाख की डिमांड सार्वजनिक निर्माण विभाग से की थी। सात करोड़ की लागत से निर्माणाधीन अंडरब्रिज निर्माण के लिए 42 बॉक्स मार्च 2019 से बनकर तैयार हो गए थे। गांधीनगर में अंडरपास का निर्माण 15 सितंबर 2018 को शुरू हुआ था। निर्माण एजेंसी को एक वर्ष में यह कार्य पूरा करना था। आपसी लेन-देन को लेकर हुए विवाद के कारण यह प्रोजेक्ट देरी से शुरू हुआ।
रेलवे लाइन के उसपार के नागरिक अंडरपास निर्माण की मांग को लेकर 2012 से कर रहे थे। यहां की आबादी को मुख्य बाजार में आने-जाने के लिए तीन से चार किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। इसी वजह से ज्यादातर नागरिक रेलवे लाइन को पारकर मुख्य बाजार की तरफ आते हैं। ऐसे में इस इलाके में ट्रैन की चपेट में आने से अबतक एक दर्जन से अधिक हादसे हो चुके हैं। नागरिकों के उग्र प्रदर्शन करने पर पूर्व की सरकार ने गांधीनगर अंडरपास के लिए 6 करोड़ 82 लाख रुपए के बजट की स्वीकृति दी थी।
फरवरी में करेंगे हैंडओवर
गांधीनगर अंडरपास का निर्माण अंतिम चरण में है। निकाय चुनाव होते ही फरवरी के पहले सप्ताह में इसे पब्लिक को हैंडओवर किया जाएगा। फिलहाल अप्रोच मार्ग व लाइटिंग की व्यवस्था के लिए नगर परिषद व ट्रांसफार्मर शिफ्ट करने के लिए विद्युत निगम को पत्र लिखा है।
अनिल अग्रवाल, अधिशासी अभियंता, पीडब्ल्यूडी
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