जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय पर मंजूर कन्या कॉलेज में पहले बरस कला संकाय का संचालन होगा। इसके लिए 160 सीट मंजूर की गई है। इसे बढ़ाकर अब 200 कर दिया गया है। कला संकाय शुरू होने के बाद विज्ञान संकाय के संचालन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
पिछले कई सालों से जिला मुख्यालय पर बेटियों के लिए सरकारी कन्या कॉलेज नहीं होने से राज्य सरकारें शर्मिंदगी उठा रही थी। इस कारण बेटियों को सह शिक्षा वाले राजकीय एनएम पीजी कॉलेज में प्रवेश के दौरान पांच प्रतिशत बोनस अंक दे रही थी। मगर अब सरकार को अपराधबोध के चलते यह पांच प्रतिशत बोनस अंक देने की जरूरत नहीं होगी। राज्य सरकार ने बजट में संगरिया तथा जिला मुख्यालय पर कन्या कॉलेज मंजूर कर दिया है। इससे बालिका शिक्षा को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। जिले में सरकारी कन्या कॉलेज नहीं होने का मुद्दा राजस्थान पत्रिका ने निरंतर उठाते हुए समाचार अभियान चलाए। चाहे सरकार भाजपा की रही हो या कांग्रेस की, जिम्मेदारों को निरंतर इस मुद्दे पर घेरा। अंतत: कांग्रेस सरकार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए एक नहीं बल्कि दो-दो कन्या कॉलेज मंजूर किए।
वर्ष 2013 में भी कांग्रेस सरकार ने ही जिले को पहले कन्या कॉलेज की सौगात देते हुए संगरिया के मीरा कॉलेज का सरकारीकरण कर दिया था। मगर बाद में भाजपा की राज्य में सरकार बनी तथा नई सरकार ने सरकारीकरण ही निरस्त कर दिया। इतना नहीं जब जागरूक लोगों ने सरकार के इस फैसले को अदालत में चुनौती दी तो राज्य सरकार चार साल से अधिक समय तक कोर्ट में केवल इसलिए लड़ती रही कि संगरिया में सरकारी कन्या कॉलेज नहीं खुले। लेकिन अंतत: राज्य सरकार को उच्च न्यायालय की डबल बैंच में मुंह की खानी पड़ी। सरकार का फैसला बदल दिया गया। फिर नव गठित राज्य सरकार ने बजट में मीरा कन्या कॉलेज के पुन: सरकारीकरण को लेकर आदेश जारी कर दिए। बाद में मुख्यमंत्री ने बजट सत्र में चर्चा के बाद जिला मुख्यालय पर भी कन्या कॉलेज मंजूर कर दिया।
बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ अभियान में हनुमानगढ़ जिला बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए प्रदेश में टॉप रहा था। इसके लिए 24 जनवरी को जिला प्रशासन का दिल्ली में सम्मान किया गया। पत्रिका ने इस सम्मान और जिले में कन्याओं के लिए एक भी सरकारी कॉलेज नहीं होने की विसंगति को मुद्दा बनाते हुए अभियान शुरू किया। हनुमानगढ़ को जिला बने 24 बरस से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद यहां एक भी सरकारी कन्या कॉलेज नहीं होने की समस्या को प्रमुखता से उठाया। इसके लिए जिले के जन प्रतिनिधियों की सुस्ती को जिम्मेदार बताते हुए अन्य जिलों से तुलना कर समाचार छापे। राज्य में सिर्फ प्रतापगढ़ व हनुमानगढ़ में ही सरकारी कन्या कॉलेज नहीं है। जबकि प्रतापगढ़ तो हनुमानगढ़ से एक दशक से भी ज्यादा समय बाद जिला बना। पत्रिका ने मीरा कॉलेज के सरकारीकरण और फिर उसे पिछली सरकार के निरस्त करने तथा मौजूदा सरकार के रवैये को लेकर समाचार छापे। इससे नई बनी कांग्रेस सरकार, इसके विधायकों तथा पार्टी पदाधिकारियों पर दबाव बना। मीरा कॉलेज के साथ जिला मुख्यालय पर कॉलेज खोलने को मुद्दा बनाया। इसका परिणाम यह रहा कि कांग्रेस विधायकों, कांग्रेस जिलाध्यक्ष आदि ने जिला प्रभारी मंत्री व शिक्षा मंत्री गोविन्द डोटासरा के समक्ष सरकारी कन्या कॉलेज की मांग को मुखरता से उठाया। नागरिक संगठन भी पत्रिका के अभियान से जागे तथा निरंतर विरोध प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपे तथा मुख्यमंत्री को पत्र लिखे। चौतरफा दबाव के कारण सरकार के आदेश पर उच्च शिक्षा विभाग की तीन सदस्यीय टीम ने जिले का दौरा किया। संगरिया के मीरा कॉलेज के सरकारीकरण को लेकर रिपोर्ट तैयार की। इसमें सरकारीकरण को लेकर सकारात्मक टिप्पणी की। साथ ही सीएमओ ने भी शासन सचिव, उच्च शिक्षा को हनुमानगढ़ में सरकारी कन्या कॉलेज को लेकर कार्यवाही का आदेश दिया। कांग्रेस विधायकों तथा पार्टी पदाधिकारियों के मुताबिक चौतरफा दबाव के कारण राज्य सरकार ने जिले को एक नहीं बल्कि दो-दो कन्या कॉलेज की सौगात दे दी।
इसी सत्र से होगा शुरू
इस संबंध में जिला निष्पादक समिति के सदस्य तरूण विजय कहते हैं कि जिला मुख्यालय पर सरकारी कन्या कॉलेज संचालित करने के लिए अस्थाई भवन चिह्नित किया गया है। कॉलेज का संचालन इसी सत्र से होगा। मुख्यमंत्री तथा स्थानीय विधायक विनोद कुमार के प्रयासों से जिले को एक नहीं बल्कि दो-दो सरकारी कन्या कॉलेज की सौगात मिली है। जहां वर्षों तक एक भी कन्या कॉलेज नहीं था, वहां एक साथ दो कॉलेज खुलना बड़ी बात है। इससे कन्या उच्च शिक्षा के ग्राफ में तेजी आएगी।