हनुमानगढ़ जिले की बात करें तो गत बरसों में कपास के अच्छे रेट किसानों को मिलते रहे हैं। गत वर्ष भी कम उत्पादन के बावजूद किसानों को रेट ठीक मिला था। सलाना करीब दो लाख हेक्टैयर में कपास की बिजाई होती है। गत बरसों में हुए नुकसान के बाद इस बार बिजाई का रकबा कितना रहेगा, इसका पता तो इस महीने के अंत तक ही चल पाएगा।
कॉटन के बीज में किसी तरह की शिकायत मिलने पर इसकी सूचना किसान तत्काल विभाग को दे सकते हैं। हमारी टीम निरंतर दुकानों को जांचने का काम कर रही है। ताकि सभी किसानों को उच्च गुणवत्ता युक्त बीज उपलब्ध हो सके।
-योगेश कुमार वर्मा, संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार हनुमानगढ़