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हनुमानगढ़

पत्रिका में खबर प्रकाशित होने पर अनाथ बेटियों की मदद को उठे हाथ

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हनुमानगढ़. गांव मानकसर की अनाथ बहनों की मदद व उनको राहत पहुंचाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। राजस्थान पत्रिका ने शनिवार को ‘अब कौन करेगा हमारे लिए दुआ, कौन देगा हौसला’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर मां-बाप के साये से महरूम बच्चियों के दर्द को बयां किया था।
 

हनुमानगढ़Jan 05, 2020 / 11:23 am

Purushottam Jha

पत्रिका में खबर प्रकाशित होने पर अनाथ बेटियों की मदद को उठे हाथ

पत्रिका में खबर प्रकाशित होने पर अनाथ बेटियों की मदद को उठे हाथ

पत्रिका में खबर प्रकाशित होने पर मदद को उठ रहे हाथ
-गांव मानकसर की तीन अनाथ बेटियों को सरकारी योजनाओं का मिलेगा लाभ, संस्था लेगी बच्चियों को गोद
हनुमानगढ़. गांव मानकसर की अनाथ बहनों की मदद व उनको राहत पहुंचाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। राजस्थान पत्रिका ने शनिवार को ‘अब कौन करेगा हमारे लिए दुआ, कौन देगा हौसला’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर मां-बाप के साये से महरूम बच्चियों के दर्द को बयां किया था। इसके बाद शनिवार को स्थानीय प्रशासन व शहर के संवेदनशील लोग सक्रिय हुए तथा बालिकाओं को मदद पहुंचाने की कोशिशें शुरू की। इसके तहत सीएमएचओ डॉ. अरुण चमडिय़ा के निर्देश पर चिकित्सा विभाग की टीम ने टीबी आदि की शंका के दृष्टिगत बालिकाओं की सेहत जांची।
उधर, मुस्लिम सोशल एंड कल्चरल सोसायटी के सदस्यों ने मानकसर जाकर बालिकाओं के हालात देखे। उनको आर्थिक व सामाजिक सहायता मुहैया कराने के लिए गोद लेने की घोषणा की। इस संबंध में जिला कलक्टर जाकिर हुसैन ने पत्रिका को बताया कि सरकार की जो भी कल्याणकारी योजनाएं हैं, उनका लाभ बालिकाओं को दिलाने का प्रयास किया जाएगा। इसको लेकर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है। साथ ही पीआरओ सुरेश बिश्नोई ने मानकसर जाकर बालिकाओं के हालात जाने तथा इस संबंध में जिला प्रशासन को वस्तुस्थिति बताई। इसके आधार पर बच्चियों को राहत पहुंचाने के प्रयास शुरू किए गए हैं। इसके अलावा जिले व शहर के कई संवेदनशील लोगों ने पत्रिका प्रतिनिधियों से संपर्क कर बालिकाओं को गुप्त सहयोग करने की इच्छा जताई।
आर्थिक व सामाजिक सम्बल
मुस्लिम सोशल एंड कल्चरल सोसायटी के अध्यक्ष अशफाक हुसैन तथा किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य एडवोकेट मुजफ्फरअली जोईया ने बालिकाओं की स्थिति जानी। दिव्यांग बालिका को व्हील चेयर व आर्थिक सहयोग दिया। साथ ही तीनों बच्चियों को गोद लेकर उनको आर्थिक व सामाजिक सम्बल प्रदान करने की बात कही। संगठन सदस्यों ने बताया कि इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिया गया है।
बच्चियों की टीबी स्क्रीनिंग कर जांचा स्वास्थ्य
संगरिया. कस्बे से चिकित्सा विभाग की टीम बालिकाओं की जांच करने शनिवार को गांव मानकसर पहुंची। टीम में प्रभारी सीनियर टीबी सुपरवाइजर संदीप सहू, एएनएम सुशीला व मंजू तथा आशा ममता रानी शामिल थे। टीम ने टीबी स्क्रीनिंग कर बच्चियों का स्वास्थ्य जांचा। तीनों में से किसी में भी टीबी रोग के लक्षण नहीं मिलने पर सबने राहत की सांस ली। साथ ही बच्चों को संभाल रहे मामा-मामी को परिवार में किसी को लंबे समय तक बुखार या खांसी की शिकायत होने पर तुरंत सरकारी अस्पताल से जांच करवाने की सलाह दी। टीम प्रभारी संदीप सहू ने बताया कि माही खान व उसकी पत्नी मुरादा बेगम दोनों ही एमडीआरटी स्तरीय टीबी से ग्रस्त थे। गंभीर रोग होने के बावजूद दोनों ने दवाई लगातार नहीं ली। रोग का उपचार २४ माह का होता है। लेकिन माहीखान ने २१ माह तक दवाई ली। जबकि मुरादा बेगम ने पांच माह उपचार कराया। तीनों बच्चियों में से कोई टीबी रोग से ग्रस्त नहीं मिला है।
गौरतलब है कि मजदूर माही खान (३२) की टीबी रोग से २०१८ के अंत में मौत हो गई। उसकी पत्नी मुरादा बेगम (३०) ने पिछले साल नवम्बर में इसी बीमारी से दम तोड़ दिया। दंपती की मौत के बाद उनकी तीन बेटियां कुलसुमा (१२), सानिया (८) व अल्लाहमाफी (३) मां-बाप के प्यार व दुलार से महरूम हो गई है। मामा इरशाद खान के भरोसे जीवन व्यतीत कर रही हैं। मंझली बहन सानिया दिव्यांग है। उसे बीमारी के कारण रीढ़ की हड्डी व पैरों में परेशानी है।

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