कैंसर की बीमारी छिपानी पड़ी महंगी, परिवार को नहीं मिला पैसा
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हनुमानगढ़. बीमा कराने से पहले बीमारी छिपाने के प्रकरण में स्थाई लोक अदालत ने क्षतिपूर्ति का दावा खारिज कर दिया। मृतक महेन्द्रपाल सिंह की पत्नी जसमीत कौर निवासी टाउन ने क्षतिपूर्ति के लिए स्थाई लोक अदालत, हनुमानगढ़ के समक्ष आवेदन किया था।
कैंसर की बीमारी छिपानी पड़ी महंगी, परिवार को नहीं मिला पैसा
कैंसर की बीमारी छिपानी पड़ी महंगी, परिवार को नहीं मिला पैसा
– बीमा कराने से पहले छिपाई बीमारी, क्षतिपूर्ति का दावा खारिज
– स्थाई लोक अदालत का फैसला
– कैंसर की जानकारी छिपाकर कराया था बीमा
हनुमानगढ़. बीमा कराने से पहले बीमारी छिपाने के प्रकरण में स्थाई लोक अदालत ने क्षतिपूर्ति का दावा खारिज कर दिया। मृतक महेन्द्रपाल सिंह की पत्नी जसमीत कौर निवासी टाउन ने क्षतिपूर्ति के लिए स्थाई लोक अदालत, हनुमानगढ़ के समक्ष आवेदन किया था। सुनवाई के बाद अध्यक्ष विष्णुदत शर्मा व सदस्य महावीर स्वामी ने दावा खारिज कर दिया। प्रकरण के अनुसार 16 मार्च २018 को जसमीत कौर ने एसबीआई तथा एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस लिमिटेड के खिलाफ प्रार्थना पत्र पेश किया कि उसके पति महेन्द्रपाल सिंह ने गृह निर्माण के लिए एसबीबीजे की शाखा स्टील बाजार टाउन से ८ लाख का होम लोन लिया था। इसके रिस्क कवर के लिए महेन्द्रपाल सिंह ने एसबीआई लाइफ ऋण रक्षा प्लान के तहत बीमा करवाया था। बीमा कवर 24 अक्टूबर 2016 से 24 अक्टूबर 2017 तक था। जबकि बीमा पॉलिसी की अवधि 24 अक्टूबर 2018 तक थी। महेन्द्रपाल सिंह ने जसमीत कौर को बीमा पॉलिसी में नॉमिनी घोषित किया था। इसके बाद १९ मार्च २०१७ को महेन्द्रपाल का देहांत हो गया। प्राॢथया ने बीमा कम्पनी व बैंक के यहां क्षतिपूर्ति के लिए दावा प्रस्तुत किया। बीमा कम्पनी ने जांच में पाया कि जसमीत कौर के पति को बैंक ऋण लेने व बीमा पॉलिसी देने से पूर्व कैंसर था। उनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज भी करवाया गया था। इस कारण बीमा कम्पनी ने बीमा पॉलिसी लेने से पूर्व महत्वपूर्ण तथ्य छिपाने के कारण दावा खारिज कर दिया।
खटखटाया अदालत का द्वार
बीमा कंपनी के दावा खारिज करने के बाद जसमीत कौर ने इसके विरुद्ध स्थाई लोक अदालत में क्षतिपूर्ति के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। न्यायालय ने सुनवाई के बाद पाया कि महेन्द्र सिंह का इलाज बीमा पॉलिसी लेने से पूर्व आचार्य तुलसी अस्पताल, बीकानेर में करवाया गया था। न्यायालय ने माना कि बीमा अधिनियम के अनुसार यदि पॉलिसी लेते समय बीमा कम्पनी से पूर्व बीमारी के संबंध में तथ्य छिपाए जाते हैं तो दावाकर्ता किसी भी प्रकार के क्लेम का हकदार नहीं बनता है। इस प्रकरण में भी जसमीत कौर के पति महेन्द्र सिंह ने पॉलिसी लेने से पूर्व कैन्सर के संबंध में ऑपरेशन करवाने के तथ्य छिपाए थे। इस कारण जसमीत कौर किसी भी प्रकार की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने की अधिकारी नहीं है। कोर्ट ने उनका क्षतिपूर्ति क्लेम प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। बीमा कम्पनी की ओर से एडवोकेट नितिन छाबड़ा व बृजभूषण तिवाड़ी ने पैरवी की। नितिन छाबड़ा ने बताया कि जीवन बीमा लेने से पूर्व कभी भी बीमारी संबंधी कोई तथ्य नहीं छिपाना चाहिए। इससे अंतत: नुकसान बीमाधारक को ही होता है।
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