जेल में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों की पहचान, पहुंचाए किसने अब तक नहीं लगा पता
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जेल में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों की पहचान, पहुंचाए किसने अब तक नहीं लगा पता
जेल में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों की पहचान, पहुंचाए किसने अब तक नहीं लगा पता
– जिला कारागृह में लावारिस अवस्था में मोबाइल फोन बरामदगी व तीन जनों की गिरफ्तारी का मामला
– जेल में मोबाइल फोन पहुंचाने पर नहीं लगी प्रभावी लगाम
हनुमानगढ़. जिला कारागृह में जनवरी व मार्च में लावारिस अवस्था में मोबाइल फोन बरामदगी के मामले में इनके उपयोगकर्ताओं की पुलिस पहचान कर चुकी है। कॉल डिटेल के आधार पर जंक्शन पुलिस ने तीन जनों को सोमवार को गिरफ्तार किया। जबकि दो जने पहले गिरफ्तार किए जा चुके हैं। जेल से जब्त किए गए फोन इस्तेमाल करने वालों की तो पहचान हो चुकी है। लेकिन अब तक इन मोबाइल फोन को जेल में पहुंचाने वालों की पड़ताल नहीं हो सकी है। इस मामले में ही नहीं बल्कि जेल में जब-जब मोबाइल फोन बरामद हुए हैं तब जेल प्रशासन यही कहता है कि दीवार के ऊपर से फोन जेल में फेंके गए। इस साल की बात करें तो जेल से करीब 50 मोबाइल फोन तथा सिम बरामद की जा चुकी है। मगर दीवार से मोबाइल फोन फेंकने वालों को लेकर ज्यादातर प्रकरणों में जांच-पड़ताल मौन है। जेल प्रशासन मोबाइल बरामदगी को लेकर जंक्शन थाने में आधा दर्जन के करीब मामले दर्ज करवा चुका है।
जनवरी व मार्च में जेल की जांच के दौरान मिट्टी में दबाए गए लावारिस हालत में करीब आधा दर्जन मोबाइल फोन बरामद किए गए थे। पुलिस ने कॉल डिटेल के आधार पर मामला सुलझाया। सोमवार को रविकांत उर्फ रवि पुत्र बृजलाल मेघवाल निवासी कुलचंद्र पीएस टिब्बी, पवन कुमार उर्फ लवी उर्फ लवली (23) पुत्र ओमप्रकाश नायक व कुलवंत सिंह उर्फ काला (26) पुत्र मजहबी सिख दोनों निवासी केसरीसिंहपुर, श्रीगंगानगर को गिरफ्तार किया। जबकि इस मामले में शिवला बिश्नोई निवासी रावतसर व करणी भाट निवासी पीलीबंगा को पूर्व में गिरफ्तार कर जेल भिजवाया जा चुका है। इस संबंध में 16 मार्च को जंक्शन थाने में अज्ञात जनों के खिलाफ जिला कारागृह के होमगार्ड राजकमल ने मामला दर्ज कराया था। उसने रिपोर्ट दी कि संयुक्त जांच अभियान के दौरान कारागृह के सुरक्षा वार्ड में बैरक नंबर तीन के पीछे मिट्टी में दबे दो मोबाइल फोन बरामद हुए। इनमें सिम नहीं थी। रिपोर्ट में 16 जनवरी को अधिकारियों की ओर से ली गई तलाशी में पांच मोबाइल फोन मिलने का जिक्र भी था। तब अधिकारियों को जेल में जगह-जगह छिपाकर रखे गए पांच मोबाइल फोन व एक चार्जर मिला था। इनमें से एक एंड्रॉयड मोबाइल फोन था। तीन मोबाइल फोन में सिम डली हुई थी। जबकि दो मोबाइल बिना सिम के थे। पुलिस ने सभी सात मोबाइल जब्त कर मामला दर्ज किया था।
आंकड़ा पहुंचा पचास तक
जिला कारागृह में बंदियों के मोबाइल फोन इस्तेमाल करने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस वर्ष अब तक कुल 50 मोबाइल फोन बरामद हो चुके हैं। अलग-अलग अवधि में जब भी जेल की जांच हुई है तो मोबाइल फोन बरामद हुए हैं। सबसे ज्यादा फोन तो जब जयपुर मुख्यालय की टीम ने जांच की थी तब मिले थे। चिंताजनक तथ्य यह भी है कि जिन बंदियों के पास से मोबाइल फोन मिल रहे हैं उनमें ज्यादातर मादक पदार्थांे की तस्करी, लूट जैसे संगीन मामलों में जेल में बंद हैं। इसके बावजूद जिला कारागृह प्रशासन बंदियों के मोबाइल फोन इस्तेमाल पर प्रभावी रोक नहीं लगा पा रहा है। इस संबंध में जब भी पुलिस ने जांच की है तो आरोपित बंदियों ने दीवार के ऊपर से मोबाइल फोन जेल में पहुंचाने की बात स्वीकारी है।
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