एकजुटता व सक्रियता आई काम
राजस्थानी साहित्य विषय हटाने के बाद गांव बिरकाली के जागरूक ग्रामीण सक्रिय हुए। ग्रामीणों ने तथा विद्यार्थियों ने हस्ताक्षर कर राजस्थानी साहित्य विषय को यथावत रखने का प्रस्ताव बनाकर संस्था प्रधान अरविन्द कस्वां को दिया। संस्था प्रधान ने एसडीएमसी से प्रस्ताव मंजूर करवा कर अपनी सहमति देते हुए इसे निदेशालय भिजवा दिया। इधर, राजस्थान पत्रिका ने इस मुद्दे को ‘बिरकाली में बेगाने हुए बिरकाली, मायड़ भाषा को कुण राखसी मानÓ शीर्षक से शुक्रवार को समाचार प्रकाशित कर प्रमुखता से उठाया। सबके साझा प्रयासों से राउमावि बिरकाली से राजस्थानी साहित्य विषय नहीं हटाया गया। प्राचार्य अरविन्द कस्वां ने बताया कि सभी ग्रामीणों के प्रयासों से राजस्थानी विषय हटाए जाने से बच गया।
इसलिए हुआ था विरोध
गांव बिरकाली के राउमावि से राजस्थानी साहित्य विषय हटाने का विरोध दो कारणों से अधिक हुआ। पहला यह कि बिरकाली राजस्थानीय के कालजयी कवि चंद्रसिंह बिरकाली का गांव है। ऐसे में मायड़ भाषा के उस कवि के गांव से राजस्थानी साहित्य का हटना जिसकी रचनाएं देश व विदेश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हो, लोगों को अखर गया। इसके अलावा गत शिक्षा सत्र में राजस्थानी साहित्य का परिणाम शत-प्रतिशत रहा था। तीन विद्यार्थियों के तो 100 अंक आए थे। जबकि 39 में से 9 विद्यार्थियों के 95 प्रतिशत से अधिक अंक आए। 20 ने 90 से अधिक अंक हासिल किए थे।