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हनुमानगढ़

Patrika news impact: पढ़ेसरी पढ़ते रहेंगे मायड़ भाषा, नहीं हटेगा राजस्थानी विषय

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हनुमानगढ़. राजस्थानी के कालजयी कवि चंद्रसिंह बिरकाली के गांव बिरकाली के पढ़ेसरी मायड़ भाषा का अध्ययन करते रहेंगे। अब राआउमावि बिरकाली से राजस्थानीय साहित्य विषय नहीं हटाया जाएगा। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने संशोधित आदेश जारी कर दिए। इससे मायड़ भाषा राजस्थानी के समर्थकों व ग्रामीणों में खुशी का माहौल है

हनुमानगढ़Jul 06, 2019 / 12:43 pm

adrish khan

Rajasthan language will not lose

पढ़ेसरी पढ़ते रहेंगे मायड़ भाषा, नहीं हटेगा राजस्थानी विषय

पढ़ेसरी पढ़ते रहेंगे मायड़ भाषा, नहीं हटेगा राजस्थानी विषय
– माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने किए संशोधित आदेश जारी
– राजस्थानी के कालजयी कवि के गांव में पढ़ाया जाता रहेगा राजस्थानी साहित्य
हनुमानगढ़. राजस्थानी के कालजयी कवि चंद्रसिंह बिरकाली के गांव बिरकाली के पढ़ेसरी मायड़ भाषा का अध्ययन करते रहेंगे। अब राआउमावि बिरकाली से राजस्थानीय साहित्य विषय नहीं हटाया जाएगा। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शुक्रवार को संशोधित आदेश जारी कर दिए। इससे मायड़ भाषा राजस्थानी के समर्थकों व ग्रामीणों में खुशी का माहौल है। राजस्थान पत्रिका व गांव बिरकाली के ग्रामीणों के साझा प्रयासों से यह संभव हुआ कि राजस्थानी भाषा नहीं हटाने के संबंध में संशोधित आदेश जारी हुआ। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से शुक्रवार को विषय परिवर्तन को लेकर पुन: आदेश जारी किया गया। इसमें अब केवल 171 विद्यालयों में ही विषय बदलने का आदेश है। जबकि पूर्व में जारी आदेश में प्रदेश के कुल 173 विद्यालयों में विषय बदले गए थे।
इनमें राउमावि बिरकाली से राजस्थानी साहित्य की जगह इतिहास वैकल्पिक विषय के तौर पर मंजूर किया गया था। मगर शुक्रवार को जारी संशोधित सूची में बिरकाली का नाम नहीं है। इसका मतलब है कि राउमावि बिरकाली को विषय परिवर्तन की सूची से हटाकर गत सत्र के हिसाब से यथावत रखा गया है। इस पर मायड़ भाषा समर्थक डॉ. सत्यनारायण सोनी, विनोद स्वामी परलीका, हरीश हैरी, चैनङ्क्षसह शेखावत, हरलाल ढाका, सुरेन्द्र सत्यम आदि ने प्रसन्नता जताई है। गौरतलब है कि तीन जुलाई को माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने विषय परिवर्तन की सूची जारी की थी। इसमें राउमावि बिरकाली से राजस्थानी साहित्य विषय हटाकर इतिहास स्वीकृत कर दिया था। इस पर गांव बिरकाली के राजस्थानी भाषा समर्थक व जागरूक ग्रामीणों ने आपत्ति जताई। साथ ही सोशल मीडिया पर भी मायड़ भाषा समर्थकों ने इसे गलत बताते हुए पुन: राजस्थानी साहित्य स्वीकृत करने की मांग की थी।

एकजुटता व सक्रियता आई काम
राजस्थानी साहित्य विषय हटाने के बाद गांव बिरकाली के जागरूक ग्रामीण सक्रिय हुए। ग्रामीणों ने तथा विद्यार्थियों ने हस्ताक्षर कर राजस्थानी साहित्य विषय को यथावत रखने का प्रस्ताव बनाकर संस्था प्रधान अरविन्द कस्वां को दिया। संस्था प्रधान ने एसडीएमसी से प्रस्ताव मंजूर करवा कर अपनी सहमति देते हुए इसे निदेशालय भिजवा दिया। इधर, राजस्थान पत्रिका ने इस मुद्दे को ‘बिरकाली में बेगाने हुए बिरकाली, मायड़ भाषा को कुण राखसी मानÓ शीर्षक से शुक्रवार को समाचार प्रकाशित कर प्रमुखता से उठाया। सबके साझा प्रयासों से राउमावि बिरकाली से राजस्थानी साहित्य विषय नहीं हटाया गया। प्राचार्य अरविन्द कस्वां ने बताया कि सभी ग्रामीणों के प्रयासों से राजस्थानी विषय हटाए जाने से बच गया।

इसलिए हुआ था विरोध
गांव बिरकाली के राउमावि से राजस्थानी साहित्य विषय हटाने का विरोध दो कारणों से अधिक हुआ। पहला यह कि बिरकाली राजस्थानीय के कालजयी कवि चंद्रसिंह बिरकाली का गांव है। ऐसे में मायड़ भाषा के उस कवि के गांव से राजस्थानी साहित्य का हटना जिसकी रचनाएं देश व विदेश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हो, लोगों को अखर गया। इसके अलावा गत शिक्षा सत्र में राजस्थानी साहित्य का परिणाम शत-प्रतिशत रहा था। तीन विद्यार्थियों के तो 100 अंक आए थे। जबकि 39 में से 9 विद्यार्थियों के 95 प्रतिशत से अधिक अंक आए। 20 ने 90 से अधिक अंक हासिल किए थे।

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