भटनेर नगरी में आज सजेगी गीत-गजल की महफिल
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भटनेर नगरी में आज सजेगी गीत-गजल की महफिल
-कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे प्रसिद्ध शायर शकील जमाली हुए मीडिया से मुखाबित, अंग्रेजी को बताया कारोबारी जुबान
हनुमानगढ़. भटनेर की फिजा रविवार शाम को शायरी और गजलों से गुलजार होगी। इसमें नामचीन शायरों की शायरी लोगों को सुनने को मिलेगी। डिस्ट्रिक प्रेस समिति (प्रेस क्लब) के तत्वावधान में टाउन-जंक्शन रोड स्थित ग्रीन वल्र्ड रिसोर्ट में यह आयोजन होगा। कार्यक्रम में शायर शारिक कैफी, शकील जमाली, अलीना इतरत, मुकेश आलम व असलम राशिद अपने गीत-गजलों से शहर के साहित्य प्रेमियों को आनंदित करेंगे। रविवार सुबह सभी शायर हनुमानगढ़ पहुंच गए।
इस मौके पर प्रेस क्लब अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा बिट्टू महासचिव गोपाल झा, उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह, कोषाध्यक्ष गुलाम नबी, सचिव राकेश सहारण, सह सचिव बलजीत सिंह, आयोजन समिति के डॉ. प्रेम भटनेरी, राजेश अग्रवाल आदि ने शायरों का स्वागत किया।
कारवाने गजल से जुड़े नामचीन शायर जब पहली बार रविवार को हनुमानगढ़ पहुंचे तो सभी मीडिया से मुखाबित हुए। इस दौरान जंक्शन में होटल ग्रांड इन में हुई प्रेसवार्ता में शायर शकील जमाली ने अंग्रेजी को कारोबारी जुबान बताया। साथ ही उर्दू और हिंदी को मोहब्बत की भाषा बताई। क्या उर्दू मुसलमानों की भाषा है, इस सवाल पर जमाली ने कहा कि किसी भाषा पर किसी व्यक्ति या धर्म का अधिकार नहीं होता है। जबान की मिठास ही उसे पहचान दिलाती है। इसलिए चाहे जबान कोई भी हो मरती है तो शायरों का दिल सबसे ज्यादा दुखता है। मीडिया से बातचीत में शायरों ने बताया कि हनुमानगढ़ मोहब्बत का शहर है। यहां के लोगों ने जितना स्नेह दिया है, उससे लगता है कि इस शहर में आगे बारबार आना पड़ेगा। शायर शारिक कैफी ने कहा कि कोई जगह हो सलीका जरूरी होता है। उन्होंने ‘सलीका आ जाए तो…Ó पंक्ति सुनाकर कहा कि बिना सलीके से काम करने पर उसका परिणाम अच्छा नहीं आता है। देश के मौजूदा दौर में कहा कि शायरी का माहौल बन रहा है। शायर शकील जमाली तथा अलीना इतरत ने कहा कि युवा भी अब शायरी को पसंद कर रहे हैं। जो सकारात्मक है।
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