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हनुमानगढ़

मासिक किराए पर मिलते लाइसेंस, नौसिखिए चला रहे मेडिकल स्टोर

आफत में मरीजों की जान

हनुमानगढ़Jan 07, 2020 / 01:02 pm

Manoj

मासिक किराए पर मिलते लाइसेंस, नौसिखिए चला रहे मेडिकल स्टोर

मासिक किराए पर मिलते लाइसेंस, नौसिखिए चला रहे मेडिकल स्टोर

नोहर (हनुमानगढ़) जिले भर में चल रहे मेडिकल स्टोर्स में से अधिकतर दुकानें लंबे समय से नौसिखियों के भरोसे चल रही हैं। इन दुकानों पर टंगे लाइसेंस किसी ओर के नाम से हैं, जबकि यहां दवाओं की बिक्री किसी ओर के भरोसे की जा रही है।
खास बात तो यह है कि मेडिकल स्टोर्स संचालकों को यह लाइसेंस आसानी से किराए पर भी मिल जाते हैं। इसके बाद इन्हीं लाइसेंस के आधार पर इन दवा की दुकानों का संचालन अन्य व्यक्ति कर रहे हैं। ऐसे में यह नौसिखिये आमजन के स्वास्थ्य को खतरे में भी डाल सकते हैं।
नियमों की अनदेखी के बावजूद जिले के किसी भी मेडिकल स्टोर पर विभाग की ओर से समय-समय पर सख्ती से कार्रवाई तक नहीं की जा रही। अधिकारियों को कहना है कि इसके लिए जिले में चार औषधी निरीक्षक कार्यरत हैं। जो शिकायत मिलने पर कार्रवाई करते हैं। किसी भी दवा दुकान पर दवाओं की बिक्री करने के लिए खुद फार्मासिस्ट का होना बेहद जरूरी है लेकिन अधिकतर दुकानों पर नौसिखिए ही दवाएं बेच रहे हैं। कुछ दिन तक फार्मासिस्ट के पास काम सीखने के बाद वे भी किराए के लाइसेंस पर दुकान का पंजीयन करवा लेते हैं ओर किसी ओर की डिग्री के आधार पर ही दुकान का संचालन करते हैं।
जिले में सैंकड़ों दुकानें
जिले भर में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में कुल 1४७1 मेडिकल स्टोर चल रहे हैं। अधिकतर ग्रामीण इलाकों में बिना लाइसेंस के भी दुकानों का संचालन हो रहा है। जहां झोलाछाप भी रोगियों का इलाज करते हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस बारे में ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
किराए में लाइसेंस…
गौरतलब है कि जिले भर में कई दवा विक्रेताओं के पास खुद की फार्मासिस्ट की डिग्री तक नहीं है। ऐसे में डिग्री होल्डर के लाइसेंस किराए पर लेकर दुकानें संचालित की जाती है।
इसके लिए दवा विक्रेता लाइसेंसी को घर बैठे ही मासिक दो से अढ़ाई हजार रूपए बतौर किराए के रूप में देते हैं। किसी भी दवा की दुकान पर दवा की बिक्री के दौरान होने वाली गड़बड़ी का जिम्मेदार उस दुकान का लाइसेंस धारक ही होता है लेकिन अधिकतर दवा की दुकानें किराए के लाइसेंस पर चलाई जा रही है जबकि लाइसेंस धारक दुकान पर होते ही
नहीं है।
इसलिए डॉक्टर को दिखाएं दवा
किसी भी अस्पताल में जांच के लिए जाने वाले मरीज को खुद डॉक्टर भी अक्सर दवा खरीदने के बाद उन्हें फिर से दिखाने की सलाह देते हैं। कई बार नौसिखिए डॉक्टर की लिखी पर्ची वाली दवा दुकान पर नहीं होने के कारण मरीज को एक जैसी दवा होने की बात कहकर थमा देते हैं। जिससे कई बार मरीज को रिएक्शन भी हो जाता है।
करते हैं कार्रवाई
जिले में रिटेल की 1४७1 मेडिकल दुकानें संचालित हैं। मेडिकल स्टोर्स पर फार्मासिस्ट नहीं होने की शिकायत मिलने पर विभाग की ओर से कार्रवाई की जाती है। जांच व कार्रवाई के लिए जिले में चार औषधी निरीक्षक भी कार्यरत हैं। इसमें मेडिकल स्टोर का लाइसेंस रद्द करने का भी प्रावधान है। जिले भर में फार्मासिस्ट के बिना मेडिकल संचालन की औसतन प्रति माह ३० से ३५ कार्रवाई की जा रही है।
– अशोक मित्तल, सहायक ड्रग कंट्रोलर, हनुमानगढ़
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