कारवाने गजल से जुड़े नामचीन शायर पहली बार रविवार को हनुमानगढ़ पहुंचे। इस दौरान जंक्शन में होटल ग्रांड इन में हुई प्रेसवार्ता में शायर शकील जमाली ने अंग्रेजी को कारोबारी जुबान बताया। साथ ही उर्दू और हिंदी को मोहब्बत की भाषा बताई। क्या उर्दू मुसलमानों की भाषा है, इस सवाल पर जमाली ने कहा कि किसी भाषा पर किसी व्यक्ति या धर्म का अधिकार नहीं होता है। जबान की मिठास ही उसे पहचान दिलाती है। इसलिए चाहे जबान कोई भी हो मरती है तो शायरों का दिल सबसे ज्यादा दुखता है।
कारवाने गजल से जुड़े देश के ख्यातनाम शायर रविवार सुबह हनुमानगढ़ पहुंचे। इस दौरान सभी भटनेर किले पर भी गए। मीडिया से बातचीत में शायरों ने बताया कि हनुमानगढ़ मोहब्बत का शहर है। यहां के लोगों ने जितना स्नेह दिया है, उससे लगता है कि इस शहर में आगे बारबार आना पड़ेगा।
शायर शारिक कैफी ने कहा कि कोई जगह हो सलीका जरूरी होता है। उन्होंने ‘सलीका आ जाए तो…’ पंक्ति सुनाकर कहा कि बिना सलीके से काम करने पर उसका परिणाम अच्छा नहीं आता है। देश के मौजूदा दौर में कहा कि शायरी का माहौल बन रहा है। शायर शकील जमाली तथा अलीना इतरत ने कहा कि युवा भी अब शायरी को पसंद कर रहे हैं। जो सकारात्मक पसंद है।