संजोग पावर प्लांट के एमडी प्रहलाद झींझा ने बताया कि 2011 में स्थापित इस प्लांट में एक जनवरी 2016 से निरंतर विद्युत उत्पादन जारी है। राजस्थान सरकार को सप्लाई दी जा रही है। इस बायोमास पावर प्लांट से प्रतिमाह औसतन पचास लाख व प्रतिवर्ष छह करोड़ यूनिट से अधिक विद्युत का उत्पादन हो रहा है। वर्तमान में तीन से साढ़े तीन हजार क्विंटल पराली की प्रतिदिन खरीद की जा रही है। इसे गांठ व कुत्तर के रूप में स्थिति अनुसार 130-170 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जा रहा है।(नसं.)
बन सकता है आय का माध्यम
पावर प्लांट के रोहित मक्कासर ने बताया कि पराली समस्या के स्थान पर किसानों के लिए अतिरिक्त आय का माध्यम बन सकता है। इसके लिए 10 से 12 किसानों की ओर से साझा तौर पर गांठ बनाने वाली मशीन की खरीद कर पराली को बेचने का कार्य किया जा सकता है। प्रति बीघा औसतन 20 से 25 क्विंटल पराली होती है। इससे सहकारी सिस्टम के अनुरूप बचत कर सकते हैं।
तीस प्रतिशत हिस्सा पराली का
प्लांट में विद्युत उत्पादन के लिए इस्तेमाल होने वाले बायोवेस्ट में तीस प्रतिशत हिस्सा पराली का रह रहा है। प्रतिवर्ष कुल दस लाख क्विंटल फ्यूल की आवश्यकता यहां रहती है। इसमें तीन लाख क्विंटल की हिस्सेदारी अकेले पराली की ही होती है। किसानों की जागरुकता के साथ-साथ यह मात्रा बढ़ रही है। पर्यावरण प्रदूषण पर भी कुछ नियंत्रण लग रहा है।(नसं.)