हालता को देखते हुए लेकर भागे अस्पताल- आयरन की गोलियां खाने के बाद दोपहर करीब दो बजे बच्चियों का दर्द बढ़ता चला गया। वहीं हालत बिगड़ती देख स्कूल स्टाफ के हाथ-पांव फूल गए। अध्यापक सोम सैन, कृष्णकुमार, राजेंद्र सैन, पुष्पा और स्कूली बच्चियां तुरंत उन्हें उपचार के लिए लेकर अस्पताल दौड़े। साथ ही घटना के बारे में परिजनों और डीईओ हरलाल हुड्डा को सूचना दी गई। सूचना मिलने पर कुछ परिजन भी तुंरत अस्पताल पहुंच गए। जिसके बाद तत्काल पूर्व चिकित्सालय प्रभारी डॉ. बलवंत गुप्ता के नेतृत्व में नर्सिंग स्टाफ ने छात्राओं को संभाला। और सभी की जांच शुरु कर दी।
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ये हुई बीमार- आयरन की गोलियां खाने से बीमार होने वाली छात्राओं में पांचवीं कक्षा की रजनी पुत्री नायबसिंह, प्रिया पुत्री बलवीर, निशा पुत्री भगवान दास, तनु पुत्री राकेश कुमार, मुस्कान पुत्री विनोद कुमार, कीर्तिका पुत्री कालूराम तथा किरणा पुत्री रिछपाल एवं कक्षा दूसरी की उमा पुत्री निर्मल और सिमरन थी। तो वहीं डॉ. बलवंत गुप्ता के अनुसार इन्हें ओआरएस घोल पिला दिया है। जांच व उपचार देने के बाद फिलहाल हालत स्थिर है। जरुरतमंद को ही दें गोली- एक बच्ची के परिजन ने कहा कि उन्होंने तो अपनी लड़कियों को पहले ही मना किया था कि यदि स्कूल में उन्हें आयरन की गोलियां खिलाएं तो वो नहीं लें। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अधिकारियों को कोसते हुए कहा कि नर्सिंग स्टाफ की मौजूदगी में जरुरतमंद बच्चों को ही ये गोलियां दी जानी चाहिए। ऐसा जरुरी नहीं कि ये गोलियां सभी के लिए फायदेमंद हो।
देखरेख में बांटी गोलियां- मामले पर स्कूल स्टाफ का कहना है कि नई पैकिंग खोलकर 950 बच्चों में से उपस्थित कक्षा एक से 12 तक के बच्चों को गोलियां दी गई। आधी छुट्टी होने से पहले ही सबको खाना खाने के लिए बोला था ताकि गोलियां दी जा सकें। देखरेख में पूरे नियमों के अनुसार गोलियां दी गई थी। गोलियां सीधी निगलनी होती हैं पर इन बच्चों ने एक-दूसरे के देखादेखी चबा लिया होगा। शायद इससे ही तबीयत बिगड़ गई।
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