हनुमानगढ़ में ‘टाइगर’ आयाराम-गयाराम, जमती नहीं राशि, अब रिकॉर्ड के करीब ‘राशि’
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अदरीस खान.हनुमानगढ़. पुलिस के टाइगर माने एसपी की हालत जिले में ‘आयाराम-गयाराम’ वाली रहती आई है। जिला बने जितने साल हुए हैं उतने ही यहां एसपी भी लगाए जा चुके हैं। एक दर्जन से ज्यादा जिला पुलिस अधीक्षक तो बारह महीने भी नहीं ठहर पाए।
हनुमानगढ़ में ‘टाइगर’ आयाराम-गयाराम, जमती नहीं राशि, अब रिकॉर्ड के करीब ‘राशि’
हनुमानगढ़ में ‘टाइगर’ आयाराम-गयाराम, जमती नहीं राशि, अब रिकॉर्ड के करीब ‘राशि’
– पिछले एक दशक में एक साल कार्यकाल पूर्ण करने वाली छठी एसपी
– एक माह बाद होंगी जिले में सर्वाधिक कार्यकाल वाली महिला एसपी
– कानून व्यवस्था को लेकर क्या आई चुनौतियां
अदरीस खान @ हनुमानगढ़. पुलिस के टाइगर माने एसपी की हालत जिले में ‘आयाराम-गयारामÓ वाली रहती आई है। जिला बने जितने साल हुए हैं उतने ही यहां एसपी भी लगाए जा चुके हैं। एक दर्जन से ज्यादा जिला पुलिस अधीक्षक तो बारह महीने भी नहीं ठहर पाए। शायद जनता-नेता के साथ टाइगर की राशि नहीं जम पाई। हालांकि एसपी के तबादले की मांग को लेकर जिले में कभी जन आंदोलन नहीं हुआ। अधिकांश का स्थानांतरण राजनीतिक उठा-पटक सहित अन्य कारणों के चलते ही हुआ है। मौजूदा एसपी राशि डोगरा ने जिले में एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है।
एक माह बाद वे जिले में सर्वाधिक कार्यकाल वाली पहली महिला एसपी बन सकती हैं। डोगरा से पहले विनिता ठाकुर व परम ज्योति एसपी रह चुकी हैं। इनमें से विनिता ठाकुर का 13 माह तथा परम ज्योति का सिर्फ तीन दिन कार्यकाल रहा। जिले में अब तक 26 एसपी नियुक्त किए जा चुके हैं। मगर एक साल या उससे अधिक सेवाकाल वाले जिला पुलिस अधीक्षक केवल ग्यारह ही रहे हैं। एसपी राशि डोगरा अब बारहवीं एसपी बन गई है। पिछले एक दशक में छठी हैं। पिछले कुछ महीनों में लूट-चोरी की घटनाएं बढ़ी हैं जो पुलिस और कप्तान के लिए चुनौती है। कोरोना संकटकाल में हनुमानगढ़ सहित कुछ चुनिंदा जिले ही थे जहां जिला कलक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक नहीं बदले गए। इसका अर्थ है कि पब्लिक में उनके कामकाज को लेकर नाराजगी नहीं है।
दो साल कोई नहीं
रोचक तथ्य यह है कि जिले में कोई भी एसपी आज तक दो साल नहीं रह सका है। हालांकि मेघचंद मीणा ने तीन साल से अधिक यहां सेवाएं दी। लेकिन दो साल कार्यकाल किसी का नहीं रहा। अब तक एक एसपी ने तीन साल और ग्यारह ने एक-एक साल हनुमानगढ़ में सेवाएं दी हैं। शेष 14 एसपी कुछ माह ही टिक पाए। पिछले दो एसपी कालूराम रावत व अनिल कयाल तो छह-छह महीने ही रह सके।
दखल से दूरी लफ्फाजी
कानून व्यवस्था की तुलनात्मक स्थिति की बात करें तो यहां हालात प्रदेश के अन्य कई जिलों से ठीक है। जन आक्रोश या गंभीर लापरवाही बरतने पर एसपी का तबादला करने के मामले जिले में ना के बराबर हैं। इसका यही मतलब निकलता है कि एसपी के तबादले में कामकाज से ज्यादा सियासी दखल प्रभावी रहता है। इससे खाकी को खादी के अनावश्यक दबाव से मुक्त रखने की बात बेमानी लगती है। जबकि सामान्य हालात में जानकार लोग एसपी या कलक्टर जैसे अधिकारी को एक जिले में कम से कम दो साल या उससे अधिक समय देने की वकालत करते हैं।
नशा बढ़ा रहा सिरदर्दी
बीते एक बरस में अपराध नियंत्रण की बात करें तो संगरिया क्षेत्र स्थित दो बैंकों में लूट की घटनाओं का खुलासा पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है। इसके अलावा लॉकडाउन के बाद छीनाझपटी, बाइक चोरी तथा चोरी के अन्य मामले बढ़े हैं। नशे की तस्करी बरसों से ही जिले के लोगों के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। पुलिस ने करीब दो साल से अभियान भी चला रखा है। मगर नशे की सप्लाई पर नियंत्रण लगता नहीं दिख रहा। सोशल मीडिया पर जातीय व धार्मिक टिप्पणी कर माहौल खराब करने वालों के प्रति पुलिस ने त्वरित गति से कार्रवाई की है।
लगाम की चुनौती
एसपी राशि डोगरा ने एक साल के कार्यकाल के संबंध में पत्रिका को बताया कि आधा कार्यकाल तो कोरोना संकटकाल में बीता है। इस दौरान सामान्य पुलिसिंग के साथ अन्य जिम्मेदारियां भी पुलिस पर आ गई। प्रयास रहा कि प्रत्येक परिवादी को इत्मीनान से सुनकर राहत दी जाए। जिले में नशे की बड़ी समस्या है, इस पर लगाम लगाने की दिशा में कार्य किया। मगर लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण संकट के चलते इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाए। अब पुन: विशेष प्लानिंग के तहत कार्यवाही में जुटे हैं। लॉकडाउन के बाद का समय चुनौतीपूर्ण है। इस अवधि में अपराध भी बढ़े हैं। संक्रमण संकट में पुलिस पर अन्य जिम्मेदारियां आने से कार्य पर थोड़ा असर पड़ा है।
महिलाओं को हौसला
जिले की पुलिस कप्तान महिला होने से न केवल महिला परिवादियों को बल्कि शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत युवतियों व कामकाजी महिलाओं को हौसला मिला है। कोरोनाकाल से पहले जहां भी कार्यक्रम में एसपी डोगरा जाती वहां छात्राओं व महिलाओं में उनके साथ सेल्फी लेने की होड़ रहती। यह इस बात की बानगी है कि वे बहुतों के लिए रोल मॉडल हैं तथा उनका हौसला बढ़ाती हैं।
फैक्ट फाइल : कार्यकाल
सर्वाधिक : मेघचंद मीणा – 3 साल 13 दिन।
सबसे कम : परम ज्योति – 3 दिन।
एक साल से कम : 14 एसपी।
एक साल या उससे ज्यादा : 12
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