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ईमानदार जज की नाके के नीचे पेशकार ले घूस : अधिवक्ता आईना दिखाने से पहले खुद देखना भी जरूरी : जज

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हनुमानगढ़Nov 26, 2018 / 07:43 pm

adrish khan

hanumangarh court parishar

ईमानदार जज की नाके के नीचे पेशकार ले घूस : अधिवक्ता आईना दिखाने से पहले खुद देखना भी जरूरी : जज

ईमानदार जज की नाके के नीचे पेशकार ले घूस : अधिवक्ता
आईना दिखाने से पहले खुद देखना भी जरूरी : जज
– विधि दिवस पर हुए मंथन कार्यक्रम में बोले अधिवक्ता व जज
– न्यायिक व्यवस्था की चुनौतियों, समस्याओं व समाधान पर हुई चर्चा
हनुमानगढ़. ईमानदार से ईमानदार जज की नाक के नीचे पेशकार तीस-तीस रुपए की घूस लेते हैं। क्या यह संभव है कि इसकी किसी को जानकारी नहीं है। न्याय व्यवस्था में सुधार की बहुत जरूरत है। इसके लिए क्या किया जा रहा है। विधि दिवस पर एडवोकेट चैम्बर प्रांगण में सोमवार को हुए मंथन कार्यक्रम में बार की ओर से इस तरह के सुलगते सवाल पूछे गए। बैंच की ओर से भी तथ्यात्मक व रोचक जवाब दिए गए। शायराना अंदाज में बैंच की ओर से एडीजे सतपाल वर्मा ने कहा कि आईना दिखाने से पहले खुद देखना भी बहुत जरूरी है। न्यायिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार है, इससे इनकार नहीं है। मगर इसे भ्रष्ट किया किसने। झूठी मुकदमेबाजी में कौन शामिल है। इस पर घंटों बहस की जा सकती है। मगर तुलनात्मक रूप से आज भी न्याय प्रणाली ईमानदारी से अपना कार्य कर रही है। पीडि़त व्यक्ति की आखरी उम्मीद यही होती है कि उसे कोर्ट से इंसाफ जरूर मिलेगा। यद्यपि चुनौतियां बहुत हैं जिन पर साझा मंथन की जरूरत है।
न्याय व्यवस्था की चुनौतियों व उनके समाधान विषय पर हुए इस कार्यक्रम की शुरुआत विधि छात्रों व अधिवक्ताओं ने की। विभिन्न कानूनों का जिक्र करते हुए सवाले उठाए। एडवोकेट नवीन सेठी ने कहा कि वकालत बहुत सम्मानजनक पेशा है। मगर समय के साथ यह केवल पेट भरने के जरिए तक सीमित हो रहा है। न्याय व्यवस्था की चुनौतियों व समस्याओं के समाधान के लिए बार को भी प्रयास करने होंगे। अधिवक्ताओं ने हमेशा से सामाजिक चेतना व अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वालों की अगुवाई की है। कार्यक्रम संयोजक एडवोकेट शंकर सोनी तथा अमित माहेश्वरी ने न्यायपालिका की ताकत, कमजोरी आदि पर चर्चा की। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के एडीजे विजयकुमार सोनी, बार संघ अध्यक्ष मनेषसिंह तंवर, विमल कीर्ति, कमलेश भादू, ऋषभ बंसल आदि मंच पर मौजूद रहे। कार्यक्रम में राजेन्द्र मक्कासर, नितिन छाबड़ा, विजय शर्मा आदि मौजूद रहे।
पुलिस-कोर्ट पर सवाल
अधिवक्ता हनीश ग्रोवर ने कहा कि जब किसी मामले की सीबीआई जांच तथा फास्ट ट्रेक कोर्ट से सुनवाई की मांग की जाती है तो यह पुलिस व कोर्ट पर सवाल खड़े करती है। इसका अर्थ यही है कि पुलिस व कोर्ट सही ढंग से कार्य नहीं कर रहे।
तो सरकार होगी मजबूत
एडीजे वर्मा ने व्यवस्था की कड़वी सच्चाई बयां करते हुए कहा कि न्याय व्यवस्था में सुधार के लिए आधारभूत सुविधाएं व संसाधन बढ़ाने की आवश्यकता है। इस दिशा में राजनीतिक व्यवस्था को सोचना होगा। उसके प्रयासों से ही यह संभव है। लेकिन न्याय पालिका जितनी कमजोर होगी, सरकार उतनी ही मजबूत होगी।
व्यवस्था पर चोट करते सवाल
– असंतुष्ट होने के बावजूद अभियोजन को पुलिस की जांच के आधार पर लीक पीटनी पड़ती है। पुलिस की जांच की समीक्षा व निगरानी की व्यवस्था होनी चाहिए।
– सरकार ने पुलिस को गुलाम बना रखा है। छह पुलिस सुधार आयोग की सिफारिशें क्यों धूल फांक रही हैं।
– मौलिक अधिकार समान होने के बावजूद महिलाओं से भेदभाव क्यों।
– यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने में देरी क्यों।
– क्या न्याय पालिका की स्वतंत्रता का सरकार हनन कर रही है।

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