न्यू सिविल लाइन वेलफेयर सोसायटी हनुमानगढ़ के सचिव जगराज सिंह की ओर से दिसम्बर २०१४ में स्थाई लोक अदालत हनुमानगढ़ में परिवाद पेश किया गया था। इसमें शुरू में जिला पर्यावरण संरक्षण समिति अध्यक्ष के तौर पर कलक्टर हनुमानगढ़, जिला पर्यावरण संरक्षण समिति के सचिव व उपवन संरक्षक हनुमानगढ़, नगर परिषद आयुक्त व महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र को पार्टी बनाया गया। इसके बाद सुनवाई आगे बढऩे पर इंडस्ट्रीज यूनियन औद्योगिक क्षेत्र हनुमानगढ़ के अध्यक्ष, उद्योग संघ हनुमानगढ़ के अध्यक्ष, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल बीकानेर व राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम हनुमानगढ़ को भी पार्टी बनाकर इनके खिलाफ अदालत में शिकायत की गई। करीब पांच वर्ष से अधिक समय तक कानूनी लड़ाई लडऩे के बाद अब सिविल लाइन के लोगों को राहत मिलने की उम्मीद जगी है। न्यू सिविल लाइन वेलफेयर सोसायटी की तरफ से मामले की पैरवी एडवोकेट सुखवीर सिंह भांभू ने की।
इस मामले में स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, स्थाई लोक अदालत के सदस्य महावीर स्वामी व बलविंदर सिंह की बैंच ने सुनवाई करने के बाद फैसला सुनाया। प्रकरण के अनुसार न्यू सिविल लाइन वेलफेयर सोसायटी के सचिव जगराज सिंह ने स्थाई लोक अदालत में वर्ष २०१४ में परिवाद दायर किया था। इसमें बताया था कि नगरपरिषद के नालियों व फैक्ट्रियों का प्रदूषित पानी सिविल लाइन के आसपास की सडक़ों के पास जमा रहता है। इससे क्षेत्र का पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। प्रदूषित पानी के जमा होने से पेड़ों के सूखने की समस्या भी आ गई है। पांच वर्ष से अधिक समय तक कानूनी लड़ाई लडऩे के बाद अब सिविल लाइन के लोगों को राहत मिलने की उम्मीद जगी है।
फैक्ट्रियों व नालियों से निकलने वाले प्रदूषित अपशिष्ट से आबोहवा में फैल रहे प्रदूषण को लेकर राजस्थान पत्रिका ने सिलसिलेवार खबरों का प्रकाशन किया। इन समाचारों से पब्लिक की आवाज को बुलंदी मिली। समाचारों की कटिंग भी सिविल लाइन सोसायटी के अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया। स्थाई लोक अदालत ने अपने फैसले में इसका जिक्र भी किया है।
व्यवस्था सुधार को किया पाबंद
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नालियों व फैक्ट्रियों का गंदा पानी जंक्शन में सिविल लाइन के आसपास जमा होने की समस्या से लोग परेशान हैं। न्यू सिविल लाइन सोसायटी के लोगों ने इस समस्या को लेकर स्थाई लोक अदालत में शिकायत की थी। इस मामले में स्थाई लोक अदालत ने अब फैसला सुना दिया है। इसमें व्यवस्था सुधार को लेकर जिम्मेदार सरकारी संस्थाओं को समस्या समाधान के लिए छह माह का वक्त दिया गया है। स्थाई लोक अदालत का यह फैसला सिविल लाइन के लोगों के लिए काफी राहत देने वाला है।
-सुखवीर सिंह भांभू, एडवोकेट हनुमानगढ़