हनुमानगढ़. भाखड़ा सिंचाई प्रणाली के रेग्युलेशन कमेटी की बैठक बुधवार को कलक्ट्रेट सभागार में हुई। इस मौके पर कलक्टर जाकिर हुसैन ने बैठक की अध्यक्षता की। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बैठक में बांधों में कम पानी की आवक के कारण भाखड़ा नहर में आगे पानी कम करने संबंधी रेग्यूलेशन का प्रस्ताव जैसे ही सदस्यों के समक्ष रखा, विधायकों व अन्य सदस्यों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। साथ ही बैलेंस के पानी को लेकर भी विधायकों ने सवाल उठाए। किसान प्रतिनिधियों का कहना था कि पंजाब की तरफ से जब सर प्लस पानी आता है तो फिर अधिकारियों को बैलेंस की नहरें चलाने में जोर क्यों आता है। बैलेंस के पानी को लेकर सदस्यों ने खूब बवाल मचाया। किसान प्रतिनिधियों का कहना था कि पहले बैलेंस के पानी को लेकर ठीक स्थिति थी, लेकिन पांच-छह महीने से मुख्य अभियंता बैलेंस का पानी चलाने नहीं दे रहे हैं। वहीं लिंक से मिलने वाले शेयर की स्थिति स्पष्ट करने को लेकर सभी विधायकों ने जब मांग की तो कलक्टर जाकिर हुसैन ने तत्काल जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता विनोद मित्तल को भी रेग्यूलेशन कमेटी की बैठक में शामिल होने की सूचना भिजवाई। इसके कुछ ही देर बात मुख्य अभियंता बैठक में शामिल भी हो गए। इस दौरान किसान प्रतिनिधियों व विधायकों ने एक स्वर में कहा कि भाखड़ा नहर में 1200 से कम पानी चलाने पर वह इस रेग्यूलेशन को मंजूर नहीं करेंगे और सड़कों पर उतरेंगे। जबकि जल संसाधन विभाग के अधिकारी बारह जनवरी से पांच फरवरी तक भाखड़ा नहर में ८५० क्यूसेक से अधिक पानी चलाने की बात दोहराते रहे। कम शेयर होने के कारण अधिकारी इससे अधिक पानी चलाने में असमर्थता जताते रहे। करीब दो घंटे तक चले मंथन के बाद आखिर में कलक्टर जाकिर हुसैन ने किसान प्रतिनिधियों व विधायकों की मांगों के अनुसार वर्तमान रेग्यूलेशन के अनुसार ही आगे एक मार्च तक भाखड़ा नहर में १२०० क्यूसेक पानी चलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसके बाद सभी सदस्यों ने मेज थपथपाकर कलक्टर जाकिर हुसैन के इस प्रस्ताव का स्वागत किया। इससे पूर्व मोतीराम कमेटी की सिफारिश को लागू करने को लेकर सरकार को प्रस्ताव भिजवाने की मांग भी सदस्यों ने रखी। साथ ही पिछली बैठक में मांग करने के बावजूद अभी तक सरकार को प्रस्ताव नहीं भिजवाने पर रोष भी व्यक्त किया। बैठक में शामिल हुए अधिकतर जनप्रतिनिधि व किसान प्रतिनिधि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली से नाराज दिखे। सादुलशहर विधायक जगदीशचंद्र जांगिड़, संगरिया विधायक गुरदीप सिंह शाहपीनी, पीलीबंगा विधायक धर्मेंद्र मोची, सूरतगढ़ विधायक रामप्रताप कासनियां, भाखड़ा परियोजना के चैयरमेन इंजीनियर लालचंद सहारण, खेती बचाओ-किसान बचाओ मोर्चा के प्रोफेसर ओम जांगू, किसान नेता विनोद धारणियां, जल उपयोक्ता संगम के बृजमोहन मूंड, एलएलडब्ल्यू वितरिका के उश्नाक मोहम्मद, काशीराम, विजय पूनियां, अशोक चौधरी, जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता विनोद मित्तल, एक्सईएन सुरेश सुथार, दिवाकर पांडे, शिवचरण रैगर, जल संसाधन खंड प्रथम के एक्सईएन सहीराम यादव, खंड द्वितीय के एक्सईएन रामहंस सैनी, कृषि अधिकारी बीआर बाकोलिया, बलकरण सिंह, पूर्व प्रधान दयाराम जाखड़, सुखदेव सिंह आदि बैठक में मौजूद रहे।
होती रहनी चाहिए ऐसी धमाकेदार बैठक
बैठक सामाप्ति की घोषणा के दौरान कलक्टर जाकिर हुसैन ने माहौल को शांत करने का प्रयास करते हुए कहा कि ऐसी धमाकेदार बैठकें होती रहनी चाहिए। साथ ही सभी को नव वर्ष की बधाई भी दी। कलक्टर की ओर से सदस्यों की मांग के अनुसार आगे भी नहरों का रेग्यूलेशन चलाने का आश्वासन मिलने पर सभी सदस्य खुश नजर आए।
मुख्य अभियंता ने कहा, सभी नहरों को चलाने की जिम्मेदारी
बैठक में किसान प्रतिनिधियों ने सरहिंद फीडर के शेयर को डायवर्ट करने का सवाल उठाया तो जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता विनोद मित्तल ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी सभी नहरों को चलाने की बनती है। भाखड़ा का शेयर १२०० क्यूसेक बनता है। शेयर के अनुसार भाखड़ा में पानी चला रहे हैं। मुख्य अभियंता ने कहा कि कई बार पंजाब की तरफ से पानी कम करने के कारण राजस्थान की नहरों को चलाने में दिक्कत आती है। बैलेंस के पानी मामले में मुख्य अभियंता ने कहा कि वर्तमान में ज्यादा सरप्लस पानी की आवक नहीं हो रही है। इसलिए शेयर के अनुसार ही नहरों को चला रहे हैं।
मोतीराम कमेटी की सिफारिश को किया निरस्त
मोतीराम कमेटी की सिफारिश को लागू करने का प्रस्ताव अब तक सरकार को नहीं भिजवाने पर किसान प्रतिनिधियों ने बैठक में खूब नाराजगी जाहिर की। विधायकों का कहना था कि हम जो मांग रखते हैं, उसे अधिकारी मानते ही नहीं तो फिर हमें बैठक में बुलाया ही क्यों जाता है। नाराज संगरिया विधायक गुरदीप सिंह शाहपीनी एक बार तो बैठक छोड़कर बाहर जाने लगे। अन्य सदस्यों के समझाने पर वह माने। वहीं बैठक शुरू होते ही यह मामला उठने पर विभागीय अधिकारियों ने दलील दी कि मोतीराम कमेटी की सिफारिश को तत्कालीन सरकार ने निरस्त कर दिया है। इस दलील को सुनते ही किसान नेता ओम जांगू ने कहा कि हमें इस बात का पता है। लेकिन हमने सरकार को प्रस्ताव भिजवाने की मांग रखी थी। इसकी पालना होनी चाहिए थी। लेकिन पता नहीं अधिकारी प्रस्ताव भिजवाने से क्यों घबरा रहे हैं।