इससे पूर्व १९९८ में एक निजी ट्रेवल्स की बस को मानकसर के पास किराया विवाद में जला दिया था। १९ जुलाई २००५ घड़साना किसान आंदोलन में किसान नेताओं की गिरफ्तारी से नाराज व रिहाई की मांग लेकर किसानों ने प्रदर्शन किया। उपखंड कार्यालय के बार कार्यकत्र्ताओं ने काफी तोडफ़ोड़ करते हुए यहां लगे बेरिकेडï्स भी तोड़ दिए। पुलिस के साथ तना-तनी हुई।
५ अगस्त २००७ को धारा १४४ व तमाम सुरक्षा उपायों को धत्ता बताते हुए ढाबां में नामचर्चा के बाद वापिस लौट रहे डेरा प्रेमियों पर सिख समुदाय ने हमला बोल दिया। दो प्रेमी प्रीतमसिंह व बंतासिंह गंभीर घायल हुए। पत्थरबाजी के साथ एक ट्रैक्टर-ट्रॉली को तोड़-फोड़ करके आग के हवाले किया लेकिन आगजनी को बचा लिया। जिला अधिकारियों के नेतृत्व में एसपी एचजी राघवेंद्र सुहासा के नेतृत्व में कई थानों से पहुंची ने स्थिति पर मशक्कत से काबू पाया।
८ जुलाई २०१३ सोमवार को केवीके के उच्च जलाशय पर चढ़े दिवंगत पत्रकार के परिजनों के समर्थन में लगे जाम खुलवाने के दौरान पुलिस से हुई हाथापाई में वृक्षमित्र साहबराम बिश्रोई को पीट दिया। इससे नाराज भीड़ ने भगतपुरा रोड पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। जिससे थाना प्रभारी बीडी रतनू के हाथ व माथे पर तथा गुप्तचर शाखा कांस्टेबल ओम बेनीवाल के हाथ पर गंभीर चोटें आई। जिन्हें एंबुलेंस ने प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराई। पुलिस ने भी हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर कर दिया।
राजकीय कार्य में बाधा पहुंचाने सहित कई धाराओं में मामला दर्ज हुआ। पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप व आला अधिकारियों ने आकर वात्र्ता की। २५ अगस्त २०१३ को स्वामी केशवानंद कॉलेज संगरिया में अध्यक्ष पद चुनाव पर विवाद हो गया। पराजित प्रत्याशी के समर्थनों ने तोडफ़ोड़ कर प्रदर्शन किया। हाकी-बल्लों से दीवार फांदकर कॉलेज में घुसे समर्थनों ने मेज, कुर्सी, नोटिस बोर्ड पानी कैंपर सहित अन्य सामान तोड़ डाले। एएसपी जस्साराम बोस के नेतृत्व में पहुंचे भारी पुलिस दल ने मुश्किलों के साथ हालत पर काबू पाया।